الفتوحات المكية

رقم السفر من 37 : [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17]
[18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37]

الصفحة - من السفر وفق مخطوطة قونية (المقابل في الطبعة الميمنية)

  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
futmak.com - الفتوحات المكية - الصفحة 5553 - من السفر  من مخطوطة قونية

الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

اعلم أن المحو عند الطائفة رفع أوصاف العادة و إزالة العلة و ما ستره الحق و نفاه قال تعالى ﴿يَمْحُوا اللّٰهُ مٰا يَشٰاءُ وَ يُثْبِتُ﴾ فثبت المحو و هو المعبر عنه بالنسخ عند الفقهاء فهو نسخ إلهي رفعه اللّٰه و محاه بعد ما كان له حكم في الثبوت و الوجود و هو في الأحكام انتهاء مدة الحكم و في الأشياء انتهاء المدة فإنه تعالى قال ﴿كُلٌّ يَجْرِي إِلىٰ أَجَلٍ مُسَمًّى﴾ [لقمان:29] فهو يثبت إلى وقت معين ثم يزول حكمه لا عينه فإنه قال ﴿يَجْرِي إِلىٰ أَجَلٍ مُسَمًّى﴾ [لقمان:29] فإذا بلغ جريانه الأجل زال جريانه و إن بقي عينه فالعادة التي في العموم يمحوها اللّٰه عن الخصوص فمنهم من تمحى عن ظاهره و منهم من تمحى عن باطنه و تبقي عليه أوصاف العادة و هو الكامل مع كونه صاحب محو كما أنه يكون المسخ في القلوب و هو اليوم كثير ««و كان في بنى إسرائيل» ظاهرا بالصورة فمسخهم اللّٰه قردة و خنازير و جعل ذلك في هذه الأمة في باطنها تمييزا لها و لكن لا تقوم الساعة حتى يظهر في صورها شيء من ذلك مع خسف و قذف كذا ورد الخبر عن رسول اللّٰه صلى اللّٰه عليه و سلم» و من العادة الركون إلى الأسباب و العلل فصاحب المحو يزول عنه الركون إلى الأسباب لا الأسباب فإن اللّٰه لا يعطل حكم الحكمة في الأشياء و الأسباب حجب إلهية موضوعة لا ترفع أعظمها حجابا عينك فعينك سبب وجود المعرفة بالله تعالى إذ لا يصح لها وجود إلا في عينك و من المحال رفعك مع إرادة اللّٰه أن يعرف فيمحوك عنك فلا تقف معك مع وجود عينك و ظهور الحكم منه كما محا اللّٰه رسول اللّٰه صلى اللّٰه عليه و سلم في حكم رميه مع وجود الرمي منه فقال



هذه نسخة نصية حديثة موزعة بشكل تقريبي وفق ترتيب صفحات مخطوطة قونية
  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

ترقيم الصفحات موافق لمخطوطة قونية (من 37 سفر) بخط الشيخ محي الدين ابن العربي - العمل جار على إكمال هذه النسخة.
(المقابل في الطبعة الميمنية)

 
الوصول السريع إلى [الأبواب]: -
[0] [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17] [18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37] [38] [39] [40] [41] [42] [43] [44] [45] [46] [47] [48] [49] [50] [51] [52] [53] [54] [55] [56] [57] [58] [59] [60] [61] [62] [63] [64] [65] [66] [67] [68] [69] [70] [71] [72] [73] [74] [75] [76] [77] [78] [79] [80] [81] [82] [83] [84] [85] [86] [87] [88] [89] [90] [91] [92] [93] [94] [95] [96] [97] [98] [99] [100] [101] [102] [103] [104] [105] [106] [107] [108] [109] [110] [111] [112] [113] [114] [115] [116] [117] [118] [119] [120] [121] [122] [123] [124] [125] [126] [127] [128] [129] [130] [131] [132] [133] [134] [135] [136] [137] [138] [139] [140] [141] [142] [143] [144] [145] [146] [147] [148] [149] [150] [151] [152] [153] [154] [155] [156] [157] [158] [159] [160] [161] [162] [163] [164] [165] [166] [167] [168] [169] [170] [171] [172] [173] [174] [175] [176] [177] [178] [179] [180] [181] [182] [183] [184] [185] [186] [187] [188] [189] [190] [191] [192] [193] [194] [195] [196] [197] [198] [199] [200] [201] [202] [203] [204] [205] [206] [207] [208] [209] [210] [211] [212] [213] [214] [215] [216] [217] [218] [219] [220] [221] [222] [223] [224] [225] [226] [227] [228] [229] [230] [231] [232] [233] [234] [235] [236] [237] [238] [239] [240] [241] [242] [243] [244] [245] [246] [247] [248] [249] [250] [251] [252] [253] [254] [255] [256] [257] [258] [259] [260] [261] [262] [263] [264] [265] [266] [267] [268] [269] [270] [271] [272] [273] [274] [275] [276] [277] [278] [279] [280] [281] [282] [283] [284] [285] [286] [287] [288] [289] [290] [291] [292] [293] [294] [295] [296] [297] [298] [299] [300] [301] [302] [303] [304] [305] [306] [307] [308] [309] [310] [311] [312] [313] [314] [315] [316] [317] [318] [319] [320] [321] [322] [323] [324] [325] [326] [327] [328] [329] [330] [331] [332] [333] [334] [335] [336] [337] [338] [339] [340] [341] [342] [343] [344] [345] [346] [347] [348] [349] [350] [351] [352] [353] [354] [355] [356] [357] [358] [359] [360] [361] [362] [363] [364] [365] [366] [367] [368] [369] [370] [371] [372] [373] [374] [375] [376] [377] [378] [379] [380] [381] [382] [383] [384] [385] [386] [387] [388] [389] [390] [391] [392] [393] [394] [395] [396] [397] [398] [399] [400] [401] [402] [403] [404] [405] [406] [407] [408] [409] [410] [411] [412] [413] [414] [415] [416] [417] [418] [419] [420] [421] [422] [423] [424] [425] [426] [427] [428] [429] [430] [431] [432] [433] [434] [435] [436] [437] [438] [439] [440] [441] [442] [443] [444] [445] [446] [447] [448] [449] [450] [451] [452] [453] [454] [455] [456] [457] [458] [459] [460] [461] [462] [463] [464] [465] [466] [467] [468] [469] [470] [471] [472] [473] [474] [475] [476] [477] [478] [479] [480] [481] [482] [483] [484] [485] [486] [487] [488] [489] [490] [491] [492] [493] [494] [495] [496] [497] [498] [499] [500] [501] [502] [503] [504] [505] [506] [507] [508] [509] [510] [511] [512] [513] [514] [515] [516] [517] [518] [519] [520] [521] [522] [523] [524] [525] [526] [527] [528] [529] [530] [531] [532] [533] [534] [535] [536] [537] [538] [539] [540] [541] [542] [543] [544] [545] [546] [547] [548] [549] [550] [551] [552] [553] [554] [555] [556] [557] [558] [559] [560]


يرجى ملاحظة أن بعض المحتويات تتم ترجمتها بشكل شبه تلقائي!