الفتوحات المكية

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و بعد أن بانت لك المعارج و المدارج و ظهرت لك المراتب و من لها من العالم و امتازت كل طائفة من غيرها بمعراجها فقد نجز بعض الغرض من هذا الباب فلنذكر أمهات ما يحوي عليه من العلوم فإنه منزل شريف و هو يحوي على نحو من سبعين علما أو يزيد على ذلك فلنذكر منها الأمهات التي لا بد منها و في ضمنها يندرج ما بقي فمنها علم السؤال فإنه ما كل أحد يعلم كيف يسأل فقد يكون للسائل في نفسه أمر ما و لا يحسن يسأل عنه فإذا سأل أفسده بسؤاله و وقع له الجواب على غير ما في نفسه و يتخيل أن المجيب ما فهم عنه و العيب إنما كان من السائل حيث لم يفهم المسئول صورة ما في نفسه و يتصور هذا كثير في الدعاوي عند الحكام و تحريرها «قال ﷺ إنكم تختصمون إلي و لعل أحدكم يكون ألحن بحجته من الآخر» و معناه أكثر إصابة و مطابقة لما في نفسه عند دعواه ممن لا يحسن ذلك فهو علم مستقل في كل ما يسأل عنه أو يدعى فيه و له شروط معلومة مذكورة و فيه علم القدر القضاء و الحكم و فيه علم مقامات الأملاك عمار الأفلاك منهم و غير عمارها و علم المقادير و علم الزمان و علم أحوال الناس في القيامة و علم النور و علم الجسر الذي يكون عليه الناس إذا تبدل الأرض و هو دون الظلمة و علم الظلمة و علم طبقات جهنم و تفاصيلها و أحوال الخلق فيها و علم الإنسان و ما جبل عليه و هل ينتقل عما جبل عليه أم يستحيل ذلك و علم الديمومية و علم محادثة الحق و علم أداء الحقوق و علم المحاضرة و علم الخوف و علم الحفظ الإلهي و علم مجاوزة الحدود و ما يتجاوز منها و ما لا يتجاوز و هل لكل حد مطلع أم لا و علم مراعاة الأمور إذا تعرضت للإنسان في طريق سلوكه إلى ربه و علم ذي الجلال و الإكرام و علم التفرقة و علم الخلق و الاختراع و لما ذا يرجع و علم الجهات و علم الأسرار و علم الكمون و الظهور و علم الاقتدار الإلهي و علم المسابقة بين الحق و الخلق و علم الإمهال و الإهمال و ما حكمته و هل الحليم يمهل أو يهمل و علم البعث فهذا قد أبنت لك ما ذكرت أن أبينه ﴿وَ اللّٰهُ يَقُولُ الْحَقَّ وَ هُوَ يَهْدِي السَّبِيلَ﴾ [الأحزاب:4]



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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