الفتوحات المكية

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الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

فيكون به وجود العالم نتيجة عن مقدمتين عن الحق و الكفؤ تعالى اللّٰه و بهذا وصف نفسه سبحانه في كتابه لما سئل النبي صلى اللّٰه عليه و سلم عن صفة ربه فنزلت سورة الإخلاص تخلصت من الاشتراك مع غيره تعالى اللّٰه في تلك النعوت المقدسة و الأوصاف فما من شيء نفاه في هذه السورة و لا أثبته إلا و ذلك المنفي أو المثبت مقالة في اللّٰه لبعض الناس و بعد أن بينا لك ما ينبغي أن يكون عليه من نحن مفتقرون إليه و هو اللّٰه سبحانه فلنبين ما بوبنا عليه فاعلم أن نسبة الأزل إلى اللّٰه نسبة الزمان إلينا و نسبة الأزل نعت سلبي لا عين له فلا يكون عن هذه الحقيقة وجود فيكون الزمان للممكن نسبة متوهمة الوجود لا موجودة لأن كل شيء تفرضه يصح عنه السؤال بمتى و متى سؤال عن زمان فلا بد أن يكون الزمان أمرا متوهما لا وجودا و لهذا أطلقه الحق على نفسه في قوله ﴿وَ كٰانَ اللّٰهُ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيماً﴾ [الأحزاب:40] و ﴿لِلّٰهِ الْأَمْرُ مِنْ قَبْلُ وَ مِنْ بَعْدُ﴾ [الروم:4] و في السنة تقرير قول السائل أين كان ربنا قبل أن يخلق خلقه و لو كان الزمان أمرا وجوديا في نفسه ما صح تنزيه الحق عن التقييد إذ كان حكم الزمان يقيده فعرفنا أن هذه الصيغ ما تحتها أمر وجودي

[الزمان:معقوله و مدلوله]

ثم نقول إن لفظة الزمان اختلف الناس في معقولها و مدلولها فالحكماء تطلقه بإزاء أمور مختلفة و أكثرهم على أنه مدة متوهمة تقطعها حركات الأفلاك و المتكلمون يطلقونه بإزاء أمر آخر و هو مقارنة حادث لحادث يسأل عنه بمتى و العرب تطلقه و تريد به الليل و النهار و هو مطلوبنا في هذا الباب و الليل و النهار فصلا اليوم فمن طلوع الشمس إلى غروبها يسمى نهارا و من غروب الشمس إلى ما طلوعها يسمى ليلا و هذه العين المفصلة تسمى يوما و أظهر هذا اليوم وجود الحركة الكبرى و ما في الوجود العيني إلا وجود المتحرك لا غير و ما هو عين الزمان فرجع محصول ذلك إلى أن الزمان أمر متوهم لا حقيقة له و إذا تقرر هذا فاليوم المعقول المقدر هو المعبر عنه بالزمان الموجود و به تظهر الجمعات و الشهور و السنون و الدهور و تسمى أيا و تقدر بهذا اليوم الأصغر المعتاد الذي فصله الليل و النهار فالزمان المقدر هو ما زاد على هذا اليوم الأصغر الذي تقدر به سائر الأيام الكبار فيقال ﴿فِي يَوْمٍ كٰانَ مِقْدٰارُهُ أَلْفَ سَنَةٍ مِمّٰا تَعُدُّونَ﴾ [ السجدة:5]



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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