الفتوحات المكية

رقم السفر من 37 : [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17]
[18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37]

الصفحة - من السفر وفق مخطوطة قونية (المقابل في الطبعة الميمنية)

  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
futmak.com - الفتوحات المكية - الصفحة 10387 - من السفر  من مخطوطة قونية

الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

قال المالك مملوك بلا شك فإن ملكه يملكه بما يحتاج إليه فإن الملك فقير إلى أشياء لا بد منها لا تحصل له إلا من مالكه فيقيد به مالكه فيكون مملوكا له إن أراد أن يكون ملكا و إلا فهو معزول تعزله المرتبة لا يمكن أن يكون أحد من المالكين أعظم من الحق و هو كل يوم في شأن و قال ﴿سَنَفْرُغُ لَكُمْ﴾ [الرحمن:31] و ما ثم الأسماء و أرض فالسماء تمور و الأرض تذهب و ذلك لما هو مالك و لو لم يحفظنا ما حفظ ملكه عليه و زال عنه حكم اسم الملك

[الفرق بين المسيح و المسيح]

و من ذلك الفرق بين المسيح و المسيح

عجبا لعيسى كيف مات و طالما *** قد كان ينشرنا من الأجداث

ما ذاك إلا كونه متبريا *** مما رمته به يد الأحداث

قال عيسى عليه السّلام هو المسيح و كل من مسح أرضه بالمشي فيها و السياحة في نواحيها ليرى آثار ربه فيما يراه منها و هو قوله ﴿أَ وَ لَمْ يَسِيرُوا فِي الْأَرْضِ﴾ [الروم:9] بأقدامهم و أفكارهم و الأرض أيضا نظرهم في عبوديتهم فإنها تقبل المساحة بما فيها من التفصيل غير أنه في كل فصل منها وصل حق فلله في كل فصل عين و المسيح أيضا من مسحت عينه التي يرى بها نفسه و بقي عليه عينه الذي يرى بها ربه فإذا لم ير إلا اللّٰه يقول أنا اللّٰه و يصدق فإن عينه التي يرى بها نفسه ذهبت و هو بالنشأة دجال تكذبه النشأة فهو الدجال الصادق فجمع بين الصدق و الكذب فصدق من حيث ما شاهد و كذب من حيث ما فاته فلو علم إن عينه ممسوحة لعلم ما فاته و ادعى الحق بالحق و لكن جرى الأمر هكذا فعيسى أحيا الموتى الذين ما له تعمل في موتهم فهو أتم لأنه لا يحيي إلا من أمات فعلم من أين تؤكل الكتف و الدجال أحيا الميت الذي قتله خاصة



هذه نسخة نصية حديثة موزعة بشكل تقريبي وفق ترتيب صفحات مخطوطة قونية
  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

ترقيم الصفحات موافق لمخطوطة قونية (من 37 سفر) بخط الشيخ محي الدين ابن العربي - العمل جار على إكمال هذه النسخة.
(المقابل في الطبعة الميمنية)

 
الوصول السريع إلى [الأبواب]: -
[0] [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17] [18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37] [38] [39] [40] [41] [42] [43] [44] [45] [46] [47] [48] [49] [50] [51] [52] [53] [54] [55] [56] [57] [58] [59] [60] [61] [62] [63] [64] [65] [66] [67] [68] [69] [70] [71] [72] [73] [74] [75] [76] [77] [78] [79] [80] [81] [82] [83] [84] [85] [86] [87] [88] [89] [90] [91] [92] [93] [94] [95] [96] [97] [98] [99] [100] [101] [102] [103] [104] [105] [106] [107] [108] [109] [110] [111] [112] [113] [114] [115] [116] [117] [118] [119] [120] [121] [122] [123] [124] [125] [126] [127] [128] [129] [130] [131] [132] [133] [134] [135] [136] [137] [138] [139] [140] [141] [142] [143] [144] [145] [146] [147] [148] [149] [150] [151] [152] [153] [154] [155] [156] [157] [158] [159] [160] [161] [162] [163] [164] [165] [166] [167] [168] [169] [170] [171] [172] [173] [174] [175] [176] [177] [178] [179] [180] [181] [182] [183] [184] [185] [186] [187] [188] [189] [190] [191] [192] [193] [194] [195] [196] [197] [198] [199] [200] [201] [202] [203] [204] [205] [206] [207] [208] [209] [210] [211] [212] [213] [214] [215] [216] [217] [218] [219] [220] [221] [222] [223] [224] [225] [226] [227] [228] [229] [230] [231] [232] [233] [234] [235] [236] [237] [238] [239] [240] [241] [242] [243] [244] [245] [246] [247] [248] [249] [250] [251] [252] [253] [254] [255] [256] [257] [258] [259] [260] [261] [262] [263] [264] [265] [266] [267] [268] [269] [270] [271] [272] [273] [274] [275] [276] [277] [278] [279] [280] [281] [282] [283] [284] [285] [286] [287] [288] [289] [290] [291] [292] [293] [294] [295] [296] [297] [298] [299] [300] [301] [302] [303] [304] [305] [306] [307] [308] [309] [310] [311] [312] [313] [314] [315] [316] [317] [318] [319] [320] [321] [322] [323] [324] [325] [326] [327] [328] [329] [330] [331] [332] [333] [334] [335] [336] [337] [338] [339] [340] [341] [342] [343] [344] [345] [346] [347] [348] [349] [350] [351] [352] [353] [354] [355] [356] [357] [358] [359] [360] [361] [362] [363] [364] [365] [366] [367] [368] [369] [370] [371] [372] [373] [374] [375] [376] [377] [378] [379] [380] [381] [382] [383] [384] [385] [386] [387] [388] [389] [390] [391] [392] [393] [394] [395] [396] [397] [398] [399] [400] [401] [402] [403] [404] [405] [406] [407] [408] [409] [410] [411] [412] [413] [414] [415] [416] [417] [418] [419] [420] [421] [422] [423] [424] [425] [426] [427] [428] [429] [430] [431] [432] [433] [434] [435] [436] [437] [438] [439] [440] [441] [442] [443] [444] [445] [446] [447] [448] [449] [450] [451] [452] [453] [454] [455] [456] [457] [458] [459] [460] [461] [462] [463] [464] [465] [466] [467] [468] [469] [470] [471] [472] [473] [474] [475] [476] [477] [478] [479] [480] [481] [482] [483] [484] [485] [486] [487] [488] [489] [490] [491] [492] [493] [494] [495] [496] [497] [498] [499] [500] [501] [502] [503] [504] [505] [506] [507] [508] [509] [510] [511] [512] [513] [514] [515] [516] [517] [518] [519] [520] [521] [522] [523] [524] [525] [526] [527] [528] [529] [530] [531] [532] [533] [534] [535] [536] [537] [538] [539] [540] [541] [542] [543] [544] [545] [546] [547] [548] [549] [550] [551] [552] [553] [554] [555] [556] [557] [558] [559] [560]


يرجى ملاحظة أن بعض المحتويات تتم ترجمتها بشكل شبه تلقائي!