الفتوحات المكية

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الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

قد جمع اللّٰه له *** كل وجود أمله

مشتبها و محكما *** مجملة مفصله

سواه إذ عدله *** و بعد هذا فصله

بكل عين أشهده *** بكل علم فضله

فإنما أنابه *** في كل أحوالي و له

حزنا الكمال كله *** أنا و هو و الكل له

[أحوال العبد على قسمين ذاتية و عرضية]

قال عزَّ وجلَّ لمحمد ﴿قُلْ إِنَّ الْأَمْرَ كُلَّهُ لِلّٰهِ﴾ [آل عمران:154] فقلنا الأمر كله لله ﴿أَلاٰ لَهُ الْخَلْقُ وَ الْأَمْرُ﴾ [الأعراف:54] فهو الخلق و الأمر اعلم أنه لا يملك المملوك إلا سيده و لهذا يسمى الترمذي الحكيم الحق سبحانه ملك الملك غير سيده ما يملك عبد فإن العبد في كل حال يقصد سيده فلا يزال يصرف سيده بأحواله في جميع أموره و لا معنى للملك إلا التصريف بالقهر و الشدة و مهما لم يقم السيد بما يطلبه به العبد فقد زالت سيادته من ذلك الوجه و أحوال العبد على قسمين ذاتية و عرضية و هو بكل حال منها يتصرف في سيده و الكل عبيد اللّٰه فمن كان دنيء الهمة قليل العلم كثيف الحجاب غليظ القفا ترك الحق و تعبد عبيد الحق فنازع الحق في ربوبيته فخرج من عبوديته فهو و إن كان عبدا في نفس الأمر فليس هو بعبد مصطنع و لا مختص فإذا لم يتعبد أحدا من عباد اللّٰه كان عبدا خالصا لله فتصرف في سيده بجميع أحواله فلا يزال الحق في شأن هذا العبد خلاقا على الدوام بحسب انتقالاته في الأحوال «قال ﷺ خادم القوم سيدهم» لأنه القائم بأمورهم لأنهم عاجزون عن القيام بما تقتضيه أحوالهم فمن عرف صورة التصريف عرف مرتبة السيد من مرتبة العبد فيتصف العبد بامتثال أمر سيده و السيد بالقيام بضرورات عبده فلا يتفرغ العبد مع ما قررناه من حاله مع حال سيده إن يقتنى عبدا يتصرف فيه لأنه يشهد عيانا إن ذلك العبد الآخر يتصرف في سيده تصرفه فيعلم أنه مثله عبد لله و إذا كان عبدا لله لم يصح أن يتعبده هذا العبد فما ملك عبد إلا بحجاب لقيت سليمان الدنبلي فأخبرني في مباسطة كانت بيني و بينه في العلم الإلهي فقلت له أريد أن أسمع منك بعض ما كان بينك و بين الحق من المباسطة فقال نعم باسطني يوما في سري في الملك فقال لي إن ملكي عظيم فقلت له ملكي أعظم من ملكك فقال لي كيف تقول فقلت له مثلك في ملكي و ليس مثلك في ملكك فمن أعظم ملكا فقال صدقت أشار إلى التصريف بالحال و الأمر و هو ما قررناه فإذا علمت هذا علمت قدرك و مرتبتك و معنى ربوبيتك و على من تكون ربا في عين عبد و هو بالعلم قريب و بالحال أقرب و ألذ في الشهود



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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