الفتوحات المكية

رقم السفر من 37 : [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17]
[18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37]

الصفحة - من السفر وفق مخطوطة قونية (المقابل في الطبعة الميمنية)

  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
futmak.com - الفتوحات المكية - الصفحة 2273 - من السفر  من مخطوطة قونية

الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

﴿وَ مَلاٰئِكَتُهُ﴾ [النساء:136] فأفرد الملائكة بالصلاة على العباد و فيهم النبي فلجميع الخلق توحيد الصلاة من اللّٰه و توحيد الصلاة من الملائكة و خص النبي صلى اللّٰه عليه و سلم وحده فيما أخبرنا به بأن جمع له بصلاة جامعة اشترك فيها اللّٰه و ملائكته فقال ﴿إِنَّ اللّٰهَ وَ مَلاٰئِكَتَهُ يُصَلُّونَ عَلَى النَّبِيِّ﴾ [الأحزاب:56] و معلوم أن الصلاة في الجمعية ما هي الصلاة التي في حال الإفراد فإن الحالتين متميزتان ففاز النبي صلى اللّٰه عليه و سلم بهذه الصلاة ثم أمرنا أن نصلي عليه صلى اللّٰه عليه و سلم بمثل هذه الصلاة الجامعة و هو أن نصلي عليه إذا كان الحق لساننا كما ورد في الخبر فحينئذ تصح الصلاة التي أمرنا بها و بهذه المثابة كانت صلاة الملائكة في هذا المقام الذي جمع بينهم و بين اللّٰه في الصلاة على النبي صلى اللّٰه عليه و سلم فإن في تلك الصلاة كان نطقهم فثبت شرفه صلى اللّٰه عليه و سلم على سائر البشر في هذه المرتبة فإنه شرف محقق الوجود بالتعريف و إن ساواه أحد ممن لم نعرف به فذلك شرف إمكاني فتعين فضله بالتعيين على من لم يتعين و إن كان قد صلى عليه مثل هذا في نفس الأمر و لم نخبر فثبت له الفضل بكل حال فلما قال تعالى بعد قوله ﴿هُوَ الَّذِي يُصَلِّي عَلَيْكُمْ﴾ [الأحزاب:43] بعد قوله ﴿يٰا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا﴾ [البقرة:104] و لم يقل بما ذا هل بالوجود و بالتوحيد فحمله على الوجود الذي هو أعم أولى لأنه أعم في الرحمة فقال لهم ﴿اُذْكُرُوا اللّٰهَ ذِكْراً كَثِيراً﴾ [الأحزاب:41] أي في كل حال ﴿وَ سَبِّحُوهُ﴾ [الأحزاب:42]



هذه نسخة نصية حديثة موزعة بشكل تقريبي وفق ترتيب صفحات مخطوطة قونية
  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

ترقيم الصفحات موافق لمخطوطة قونية (من 37 سفر) بخط الشيخ محي الدين ابن العربي - العمل جار على إكمال هذه النسخة.
(المقابل في الطبعة الميمنية)

 
الوصول السريع إلى [الأبواب]: -
[0] [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17] [18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37] [38] [39] [40] [41] [42] [43] [44] [45] [46] [47] [48] [49] [50] [51] [52] [53] [54] [55] [56] [57] [58] [59] [60] [61] [62] [63] [64] [65] [66] [67] [68] [69] [70] [71] [72] [73] [74] [75] [76] [77] [78] [79] [80] [81] [82] [83] [84] [85] [86] [87] [88] [89] [90] [91] [92] [93] [94] [95] [96] [97] [98] [99] [100] [101] [102] [103] [104] [105] [106] [107] [108] [109] [110] [111] [112] [113] [114] [115] [116] [117] [118] [119] [120] [121] [122] [123] [124] [125] [126] [127] [128] [129] [130] [131] [132] [133] [134] [135] [136] [137] [138] [139] [140] [141] [142] [143] [144] [145] [146] [147] [148] [149] [150] [151] [152] [153] [154] [155] [156] [157] [158] [159] [160] [161] [162] [163] [164] [165] [166] [167] [168] [169] [170] [171] [172] [173] [174] [175] [176] [177] [178] [179] [180] [181] [182] [183] [184] [185] [186] [187] [188] [189] [190] [191] [192] [193] [194] [195] [196] [197] [198] [199] [200] [201] [202] [203] [204] [205] [206] [207] [208] [209] [210] [211] [212] [213] [214] [215] [216] [217] [218] [219] [220] [221] [222] [223] [224] [225] [226] [227] [228] [229] [230] [231] [232] [233] [234] [235] [236] [237] [238] [239] [240] [241] [242] [243] [244] [245] [246] [247] [248] [249] [250] [251] [252] [253] [254] [255] [256] [257] [258] [259] [260] [261] [262] [263] [264] [265] [266] [267] [268] [269] [270] [271] [272] [273] [274] [275] [276] [277] [278] [279] [280] [281] [282] [283] [284] [285] [286] [287] [288] [289] [290] [291] [292] [293] [294] [295] [296] [297] [298] [299] [300] [301] [302] [303] [304] [305] [306] [307] [308] [309] [310] [311] [312] [313] [314] [315] [316] [317] [318] [319] [320] [321] [322] [323] [324] [325] [326] [327] [328] [329] [330] [331] [332] [333] [334] [335] [336] [337] [338] [339] [340] [341] [342] [343] [344] [345] [346] [347] [348] [349] [350] [351] [352] [353] [354] [355] [356] [357] [358] [359] [360] [361] [362] [363] [364] [365] [366] [367] [368] [369] [370] [371] [372] [373] [374] [375] [376] [377] [378] [379] [380] [381] [382] [383] [384] [385] [386] [387] [388] [389] [390] [391] [392] [393] [394] [395] [396] [397] [398] [399] [400] [401] [402] [403] [404] [405] [406] [407] [408] [409] [410] [411] [412] [413] [414] [415] [416] [417] [418] [419] [420] [421] [422] [423] [424] [425] [426] [427] [428] [429] [430] [431] [432] [433] [434] [435] [436] [437] [438] [439] [440] [441] [442] [443] [444] [445] [446] [447] [448] [449] [450] [451] [452] [453] [454] [455] [456] [457] [458] [459] [460] [461] [462] [463] [464] [465] [466] [467] [468] [469] [470] [471] [472] [473] [474] [475] [476] [477] [478] [479] [480] [481] [482] [483] [484] [485] [486] [487] [488] [489] [490] [491] [492] [493] [494] [495] [496] [497] [498] [499] [500] [501] [502] [503] [504] [505] [506] [507] [508] [509] [510] [511] [512] [513] [514] [515] [516] [517] [518] [519] [520] [521] [522] [523] [524] [525] [526] [527] [528] [529] [530] [531] [532] [533] [534] [535] [536] [537] [538] [539] [540] [541] [542] [543] [544] [545] [546] [547] [548] [549] [550] [551] [552] [553] [554] [555] [556] [557] [558] [559] [560]


يرجى ملاحظة أن بعض المحتويات تتم ترجمتها بشكل شبه تلقائي!