الفتوحات المكية

رقم السفر من 37 : [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17]
[18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37]

الصفحة 256 - من السفر 4 وفق مخطوطة قونية (المقابل في الطبعة الميمنية)

  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
futmak.com - الفتوحات المكية - الصفحة 1214 - من السفر 4 من مخطوطة قونية

الصفحة 256 - من السفر 4
(وفق مخطوطة قونية)

ثم إن الذي خذلهم الله من العباد جعلهم طائفتين طائفة لا تضرهم الذنوب التي وقعت منهم وهو قوله والله يَعِدُكُمْ مَغْفِرَةً مِنْهُ وفَضْلًا فلا تمسهم النار بما تاب الله عليهم واستغفار الملإ الأعلى لهم ودعائه لهذه الطائفة وطائفة أخرى أخذهم الله بذنوبهم والذين أخذهم الله بذنوبهم قسمهم بقسمين قسم أخرجهم الله من النار بشفاعة الشافعين وهم أهل الكبائر من المؤمنين وبالعناية الإلهية وهم أهل التوحيد بالنظر العقلي وقسم آخر أبقاهم الله في النار

[المجرمون: طوائفهم وأصنافهم‏]

وهذا القسم هم أهل النار الذين هم أهلها وهم المجرمون خاصة الذين يقول الله فيهم وامْتازُوا الْيَوْمَ أَيُّهَا الْمُجْرِمُونَ أي المستحقون بأن يكونوا أهلا لسكنى هذه الدار التي هي جهنم يعمرونها ممن يخرج منها إلى الدار الآخرة التي هي الجنة وهؤلاء المجرمون أربع طوائف كلها في النار ل يُخْرَجُونَ مِنْها وهم المتكبرون على الله كفرعون وأمثاله ممن ادعى الربوبية لنفسه ونفاها عن الله فقال يا أَيُّهَا الْمَلَأُ ما عَلِمْتُ لَكُمْ من إِلهٍ غَيْرِي وقال أَنَا رَبُّكُمُ الْأَعْلى‏ يريد أنه ما في السماء إله غيري وكذلك نمرود وغيره والطائفة الثانية المشركون وهم الَّذِينَ يَجْعَلُونَ مَعَ الله إِلهاً آخَرَ [الصفحة 302 من طبعة القاهرة] فقالوا ما نَعْبُدُهُمْ إِلَّا لِيُقَرِّبُونا إِلَى الله زُلْفى‏ وقالو جَعَلَ الْآلِهَةَ إِلهاً واحِداً إِنَّ هذا لَشَيْ‏ءٌ عُجابٌ



هذه نسخة نصية حديثة موزعة بشكل تقريبي وفق ترتيب صفحات مخطوطة قونية
  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

ترقيم الصفحات موافق لمخطوطة قونية (من 37 سفر) بخط الشيخ محي الدين ابن العربي - العمل جار على إكمال هذه النسخة.
(المقابل في الطبعة الميمنية)

 
الوصول السريع إلى [الأبواب]: -
[0] [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17] [18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37] [38] [39] [40] [41] [42] [43] [44] [45] [46] [47] [48] [49] [50] [51] [52] [53] [54] [55] [56] [57] [58] [59] [60] [61] [62] [63] [64] [65] [66] [67] [68] [69] [70] [71] [72] [73] [74] [75] [76] [77] [78] [79] [80] [81] [82] [83] [84] [85] [86] [87] [88] [89] [90] [91] [92] [93] [94] [95] [96] [97] [98] [99] [100] [101] [102] [103] [104] [105] [106] [107] [108] [109] [110] [111] [112] [113] [114] [115] [116] [117] [118] [119] [120] [121] [122] [123] [124] [125] [126] [127] [128] [129] [130] [131] [132] [133] [134] [135] [136] [137] [138] [139] [140] [141] [142] [143] [144] [145] [146] [147] [148] [149] [150] [151] [152] [153] [154] [155] [156] [157] [158] [159] [160] [161] [162] [163] [164] [165] [166] [167] [168] [169] [170] [171] [172] [173] [174] [175] [176] [177] [178] [179] [180] [181] [182] [183] [184] [185] [186] [187] [188] [189] [190] [191] [192] [193] [194] [195] [196] [197] [198] [199] [200] [201] [202] [203] [204] [205] [206] [207] [208] [209] [210] [211] [212] [213] [214] [215] [216] [217] [218] [219] [220] [221] [222] [223] [224] [225] [226] [227] [228] [229] [230] [231] [232] [233] [234] [235] [236] [237] [238] [239] [240] [241] [242] [243] [244] [245] [246] [247] [248] [249] [250] [251] [252] [253] [254] [255] [256] [257] [258] [259] [260] [261] [262] [263] [264] [265] [266] [267] [268] [269] [270] [271] [272] [273] [274] [275] [276] [277] [278] [279] [280] [281] [282] [283] [284] [285] [286] [287] [288] [289] [290] [291] [292] [293] [294] [295] [296] [297] [298] [299] [300] [301] [302] [303] [304] [305] [306] [307] [308] [309] [310] [311] [312] [313] [314] [315] [316] [317] [318] [319] [320] [321] [322] [323] [324] [325] [326] [327] [328] [329] [330] [331] [332] [333] [334] [335] [336] [337] [338] [339] [340] [341] [342] [343] [344] [345] [346] [347] [348] [349] [350] [351] [352] [353] [354] [355] [356] [357] [358] [359] [360] [361] [362] [363] [364] [365] [366] [367] [368] [369] [370] [371] [372] [373] [374] [375] [376] [377] [378] [379] [380] [381] [382] [383] [384] [385] [386] [387] [388] [389] [390] [391] [392] [393] [394] [395] [396] [397] [398] [399] [400] [401] [402] [403] [404] [405] [406] [407] [408] [409] [410] [411] [412] [413] [414] [415] [416] [417] [418] [419] [420] [421] [422] [423] [424] [425] [426] [427] [428] [429] [430] [431] [432] [433] [434] [435] [436] [437] [438] [439] [440] [441] [442] [443] [444] [445] [446] [447] [448] [449] [450] [451] [452] [453] [454] [455] [456] [457] [458] [459] [460] [461] [462] [463] [464] [465] [466] [467] [468] [469] [470] [471] [472] [473] [474] [475] [476] [477] [478] [479] [480] [481] [482] [483] [484] [485] [486] [487] [488] [489] [490] [491] [492] [493] [494] [495] [496] [497] [498] [499] [500] [501] [502] [503] [504] [505] [506] [507] [508] [509] [510] [511] [512] [513] [514] [515] [516] [517] [518] [519] [520] [521] [522] [523] [524] [525] [526] [527] [528] [529] [530] [531] [532] [533] [534] [535] [536] [537] [538] [539] [540] [541] [542] [543] [544] [545] [546] [547] [548] [549] [550] [551] [552] [553] [554] [555] [556] [557] [558] [559] [560]


يرجى ملاحظة أن بعض المحتويات تتم ترجمتها بشكل شبه تلقائي!