الفتوحات المكية

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و لا تكن ممن ليس له منه نصيب إلا البلاغ

«فصل»في اليوم العقيم

و العقيم ما يوجب أن لا يولد منه فلا تكون له ولادة على مثله و سمي عقيما لأنه لا يوم بعده أصلا و هو من يوم الأسبوع يوم السبت و هو يوم الأبد فنهاره نور لأهل الجنة دائم لا يزال أبدا و ليلة ظلمة على أهل النار لا يزال أبدا و لهذا يموتون أهل الكبائر فيها الذين يخرجون منها بعد العقوبة إلى الجنة إذ لا خلود في النار إلا لأهلها الذين هم أهلها «يقول رسول اللّٰه ﷺ أما أهل النار الذين هم أهلها فإنهم لا يموتون فيها و لا يحيون و لكن ناس أصابتهم النار بذنوبهم فأماتهم اللّٰه فيها إماتة» الحديث و هو صحيح فينامون فيها نومة حتى لا يحسوا بالنار إذا مستهم عند ما تتسلط على آلات المعاصي بالأكل و هي الجوارح و الايمان يمنع من تخلصها إلى القلب فهذه عناية التوحيد الذي كان في قلوبهم فعلم التوحيد يميتهم في النار موتة النائم في حال نومه و الايمان على باب النار ينتظرهم حتى إذا بعثهم اللّٰه من تلك النومة و هم قد صاروا فحما أخرجهم سبحانه فغمسهم في نهر الحياة فينبتون كما تنبت الحبة تكون في حميل السيل ثم يدخلون الجنة فلا يبقى في النار من علم إن اللّٰه إله واحد في الدنيا جملة واحدة و لأهل الجنة في الجنة مقادير يعرفون بها انتهاء مدة طلوع الشمس إلى غروبها في الدنيا و إن لم يكن في الجنة شمس فالحركة التي كانت تسير بالشمس فيظهر من أجلها طلوعها و غروبها موجودة في الفلك الأطلس الذي على الجنة و هو سقفها و الحركة بعينها فيه موجودة و لأهل الجنة كشف و رؤية إلى المقادير التي فيه المعبر عنها بالبروج فإن ذلك الفلك هو السماء الذي أقسم اللّٰه به في قوله ﴿وَ السَّمٰاءِ ذٰاتِ الْبُرُوجِ﴾ [البروج:1] فيعلمون بها حد ما كان عليهم في الدنيا مما يسمى بكرة و عشيا و كان لهم في هذا الزمان في الدنيا حالة تسمى الغداء و العشاء فيتذكرونها هنالك فيأتيهم اللّٰه عند ذلك برزق يرزقهم فيها كما قال ﴿لَهُمْ رِزْقُهُمْ فِيهٰا بُكْرَةً وَ عَشِيًّا﴾ [مريم:62] و هو رزق خاص في وقت خاص معلوم عندهم و ما عدا ذلك فأكلها دائم لا ينقطع و الدوام في الأكل إنما هو عين النعيم بما يكون به الغذاء للجسم و لكن لا يشعر به كثير من الناس إلا العلماء بعلم الطبيعة و ذلك أعني صورة قوله ﴿أُكُلُهٰا دٰائِمٌ﴾



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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