الفتوحات المكية

رقم السفر من 37 : [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17]
[18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37]

الصفحة - من السفر وفق مخطوطة قونية (المقابل في الطبعة الميمنية)

  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
futmak.com - الفتوحات المكية - الصفحة 8438 - من السفر  من مخطوطة قونية

الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

﴿غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَ لاَ الضّٰالِّينَ﴾ [الفاتحة:7] و «قال ﷺ في الثابت عنه الرحم شجنة من الرحمن من وصلها وصله اللّٰه و من قطعها قطعه اللّٰه» و «قال ﷺ الراحمون يرحمهم الرحمن ارحموا من في الأرض يرحمكم من في السماء» و «قال ﷺ في حديث الشفاعة إن اللّٰه يقول شفعت الملائكة و شفع النبيون و المؤمنون و بقي أرحم الراحمين» اعلم أن العالم لما أقام اللّٰه نشأته على التربيع و أعني بالعالم هنا الإنس و الجان الذين يعمرون الدارين الجنة و النار جعل في أم الكتاب الذي يقضي على جميع ما يتضمنه العالم أربع رحمات لكل ربع من كل شخص شخص رحمة فضمن الآية الأولى من أم الكتاب و هي البسملة رحمتان و هما قوله ﴿اَلرَّحْمٰنِ الرَّحِيمِ﴾ [الفاتحة:1] و ضمن الآية الثالثة منها أيضا رحمتين و هما قوله ﴿اَلرَّحْمٰنِ الرَّحِيمِ﴾ [الفاتحة:1] فهو رحمن بالرحمتين العامة و هي رحمة الامتنان و هو رحيم بالرحمة الخاصة و هي الواجبة في قوله ﴿فَسَأَكْتُبُهٰا لِلَّذِينَ يَتَّقُونَ﴾ [الأعراف:156] الآيات و قوله ﴿كَتَبَ رَبُّكُمْ عَلىٰ نَفْسِهِ الرَّحْمَةَ﴾ [الأنعام:54] و أما رحمة الامتنان فهي التي تنال من غير استحقاق بعمل و برحمته الامتنان رحم اللّٰه من و فقه للعمل الصالح الذي أوجب له الرحمة الواجبة فبها ينال العاصي و أهل النار إزالة لعذاب عنهم و إن كانت مسكنهم و دارهم جهنم و هذه رحمة الامتنان قوله لنبيه ص ﴿فَبِمٰا رَحْمَةٍ مِنَ اللّٰهِ لِنْتَ لَهُمْ﴾ [آل عمران:159] و هذا معنى قوله ﴿صِرٰاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ﴾ [الفاتحة:7]



هذه نسخة نصية حديثة موزعة بشكل تقريبي وفق ترتيب صفحات مخطوطة قونية
  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

ترقيم الصفحات موافق لمخطوطة قونية (من 37 سفر) بخط الشيخ محي الدين ابن العربي - العمل جار على إكمال هذه النسخة.
(المقابل في الطبعة الميمنية)

 
الوصول السريع إلى [الأبواب]: -
[0] [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17] [18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37] [38] [39] [40] [41] [42] [43] [44] [45] [46] [47] [48] [49] [50] [51] [52] [53] [54] [55] [56] [57] [58] [59] [60] [61] [62] [63] [64] [65] [66] [67] [68] [69] [70] [71] [72] [73] [74] [75] [76] [77] [78] [79] [80] [81] [82] [83] [84] [85] [86] [87] [88] [89] [90] [91] [92] [93] [94] [95] [96] [97] [98] [99] [100] [101] [102] [103] [104] [105] [106] [107] [108] [109] [110] [111] [112] [113] [114] [115] [116] [117] [118] [119] [120] [121] [122] [123] [124] [125] [126] [127] [128] [129] [130] [131] [132] [133] [134] [135] [136] [137] [138] [139] [140] [141] [142] [143] [144] [145] [146] [147] [148] [149] [150] [151] [152] [153] [154] [155] [156] [157] [158] [159] [160] [161] [162] [163] [164] [165] [166] [167] [168] [169] [170] [171] [172] [173] [174] [175] [176] [177] [178] [179] [180] [181] [182] [183] [184] [185] [186] [187] [188] [189] [190] [191] [192] [193] [194] [195] [196] [197] [198] [199] [200] [201] [202] [203] [204] [205] [206] [207] [208] [209] [210] [211] [212] [213] [214] [215] [216] [217] [218] [219] [220] [221] [222] [223] [224] [225] [226] [227] [228] [229] [230] [231] [232] [233] [234] [235] [236] [237] [238] [239] [240] [241] [242] [243] [244] [245] [246] [247] [248] [249] [250] [251] [252] [253] [254] [255] [256] [257] [258] [259] [260] [261] [262] [263] [264] [265] [266] [267] [268] [269] [270] [271] [272] [273] [274] [275] [276] [277] [278] [279] [280] [281] [282] [283] [284] [285] [286] [287] [288] [289] [290] [291] [292] [293] [294] [295] [296] [297] [298] [299] [300] [301] [302] [303] [304] [305] [306] [307] [308] [309] [310] [311] [312] [313] [314] [315] [316] [317] [318] [319] [320] [321] [322] [323] [324] [325] [326] [327] [328] [329] [330] [331] [332] [333] [334] [335] [336] [337] [338] [339] [340] [341] [342] [343] [344] [345] [346] [347] [348] [349] [350] [351] [352] [353] [354] [355] [356] [357] [358] [359] [360] [361] [362] [363] [364] [365] [366] [367] [368] [369] [370] [371] [372] [373] [374] [375] [376] [377] [378] [379] [380] [381] [382] [383] [384] [385] [386] [387] [388] [389] [390] [391] [392] [393] [394] [395] [396] [397] [398] [399] [400] [401] [402] [403] [404] [405] [406] [407] [408] [409] [410] [411] [412] [413] [414] [415] [416] [417] [418] [419] [420] [421] [422] [423] [424] [425] [426] [427] [428] [429] [430] [431] [432] [433] [434] [435] [436] [437] [438] [439] [440] [441] [442] [443] [444] [445] [446] [447] [448] [449] [450] [451] [452] [453] [454] [455] [456] [457] [458] [459] [460] [461] [462] [463] [464] [465] [466] [467] [468] [469] [470] [471] [472] [473] [474] [475] [476] [477] [478] [479] [480] [481] [482] [483] [484] [485] [486] [487] [488] [489] [490] [491] [492] [493] [494] [495] [496] [497] [498] [499] [500] [501] [502] [503] [504] [505] [506] [507] [508] [509] [510] [511] [512] [513] [514] [515] [516] [517] [518] [519] [520] [521] [522] [523] [524] [525] [526] [527] [528] [529] [530] [531] [532] [533] [534] [535] [536] [537] [538] [539] [540] [541] [542] [543] [544] [545] [546] [547] [548] [549] [550] [551] [552] [553] [554] [555] [556] [557] [558] [559] [560]


يرجى ملاحظة أن بعض المحتويات تتم ترجمتها بشكل شبه تلقائي!