الفتوحات المكية

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[الحروف اللفظية و المستحضرة خالدة]

و هذه الحروف الهوائية اللفظية لا يدركها موت بعد وجودها بخلاف الحروف الرقمية و ذلك لأن شكل الحرف الرقمي و الكلمة الرقمية تقبل التغيير و الزوال لأنه في محل يقبل ذلك و الأشكال اللفظية في محل لا يقبل ذلك و لهذا كان لها البقاء فالجو كله مملوء من كلام العالم يراه صاحب الكشف صورا قائمة و أما الحروف المستحضرة فإنها باقية إذ كان وجود أشكالها في البرزخ لا في الحس و فعلها أقوى من فعل سائر الحروف و لكن إذا استحكم سلطان استحضارها و اتحد المستحضر لها و لم يبق فيه متسع لغيرها و يعلم ما هي خاصيتها حتى يستحضرها من أجل ذلك فيرى أثرها فهذا شبيه الفعل بالهمة و إن لم يعلم ما تعطيه فإنه يقع الفعل في الوجود و لا علم له به و كذلك سائر أشكال الحروف في كل مرتبة و هذا الفعل بالحرف المستحضر يعبر عنه بعض من لا علم له بالهمة و بالصدق و ليس كذلك و إن كانت الهمة روحا للحرف المستحضر لا عين الشكل المستحضر و هذه الحضرة تعم الحروف كلها لفظيها و رقميها

[خواص أشكال الحروف]

فإذا علمت خواص الأشكال وقع الفعل بها علما لكاتبها أو المتلفظ بها و إن لم يعين ما هي مرتبطة به من الانفعالات لا يعلم ذلك و قد أينا من قرأ آية من القرآن و ما عنده خبر فرأى أثرا غريبا حدث و كان ذا فطنة فرجع في تلاوته من قريب لينظر ذلك الأثر بأية آية يختص فجعل يقرأ و ينظر فمر بالآية التي لها ذلك الأثر فرأى الفعل فتعداها فلم ير ذلك الأثر فعاود ذلك مرارا حتى تحققه فاتخذها لذلك الانفعال و رجع كلما أراد أن يرى ذلك الانفعال تلا تلك الآية فظهر له ذلك الأثر و هو علم شريف في نفسه إلا أن السلامة منه عزيزة فالأولى ترك طلبه فإنه من العلم الذي اختص اللّٰه به أولياءه على الجملة و إن كان عند بعض الناس منه قليل و لكن من غير الطريق الذي يناله الصالحون و لهذا يشقى به من هو عنده و لا يسعد فالله يجعلنا من العلماء بالله



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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