الفتوحات المكية

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﴿أَ أَنْتُمْ أَشَدُّ خَلْقاً أَمِ السَّمٰاءُ بَنٰاهٰا﴾ [النازعات:27] و ذكر ما يختص بالسماء ثم ذكر الأرض و دحيها و ما يختص بها كل ذلك في معرض التفضيل على الإنسان فوجدنا الدرجة التي فضل بها السماء و الأرض على الإنسان هي بعينها التي فضل بها الرجل على المرأة و هو أن الإنسان منفعل عن السماء و الأرض و مولد بينهما منهما و المنفعل لا يقوي قوة الفاعل لما هو منفعل عنه كذلك وجدنا حواء منفعلة عن آدم مستخرجة متكونة من الضلع القصير فقصرت بذلك أن تلحق بدرجة من انفعلت عنه فلا تعلم من مرتبة الرجل إلا حد ما خلقت منه و هو الضلع فقصر إدراكها عن حقيقة الرجل كذلك الإنسان لا يعلم من العالم إلا قدر ما أخذ في وجوده من العالم لا غير فلا يلحق الإنسان أبدا بدرجة العالم بجملته و إن كان مختصرا منه كذلك المرأة لا تلحق بدرجة الرجل أبدا مع كونها نقاوة من هذا المختصر و أشبهت المرأة الطبيعة من كونها محلا للانفعال فيها و ليس الرجل كذلك فإن الرجل يلقي الماء في الحرم لا غير و الرحم محل التكوين و الخلق فيظهر أعيان ذلك النوع في الأنثى لقبولها التكوين و الانتقالات في الأطوار الخلقية خلقا من بعد خلق إلى أن يخرج بشرا سويا فبهذا القدر يمتاز الرجال عن النساء و لهذا كانت النساء ناقصات العقل عن الرجال لأنهن ما يعقلن إلا قدر ما أخذت المرأة من خلق الرجل في أصل النشأة و أما نقصان الدين فيها فإن الجزاء على قدر العمل و العمل لا يكون إلا عن علم و العلم على قدر قبول العالم و قبول العالم على قدر استعداده في أصل نشأته و استعدادها ينقص عن استعداد الرجل لأنها جزء منه فلا بد أن تتصف المرأة بنقصان الدين عن الرجل و هذا الباب يطلب الصفة التي يجتمع فيها النساء و الرجال و هي فيما ذكرناه كونهما في مقام الانفعال هذا من جهة الحقائق و أما من جهة ما يعرض لهما فمثل قوله ﴿إِنَّ الْمُسْلِمِينَ وَ الْمُسْلِمٰاتِ وَ الْمُؤْمِنِينَ وَ الْمُؤْمِنٰاتِ﴾ [الأحزاب:35] إلى قوله ﴿وَ الذّٰاكِرِينَ اللّٰهَ كَثِيراً﴾ [الأحزاب:35] ﴿وَ الذّٰاكِرٰاتِ﴾ [الأحزاب:35] و قوله تعالى ﴿اَلتّٰائِبُونَ الْعٰابِدُونَ الْحٰامِدُونَ السّٰائِحُونَ﴾ [التوبة:112]



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