الفتوحات المكية

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[شرح الأبيات]

قوله يخاطب نسيم الصبا ناشدتك اللّٰه اعلم أن الصبا هي ريح القبول و الصبا الميل و الميل قبول و سميت الصبا قبولا لأن العرب لما أرادت أن تعرف الرياح حتى تجعل لها أسماء تذكرها بها لتعرف فاستقبلت مطلع الشمس فكل ريح هبت عليها من جهة مطلع الشمس استقبلته إذ كان وجهها إلى تلك الجهة فسمتها قبولا و ما أتى إليها من الريح عن دبر في حال استقبالها ذلك سمته دبورا و هي الريح الغربية و ما أتاها منها في هبوبها عن الجانب الأيمن سمته جنوبا و عن جانب الشمال سمته شمالا و كل ريح بين جهتين من هذه الجهات تهب سمتها نكباء من النكوب و هو العدول أي عدلت عن هذه الأربع الجهات و النسيم أول هبوب الريح و الشيء المستلذ إذا فاجأك ابتداء فهو ألذ من استصحابه مثل قوله

أحلى من الأمن عند الخائف الوجل

و لهذا نعيم الجنان جديد في كل نفس فلذلك ما ناشد إلا النسيم لالتذاذه به و جعله نسيم الصبا لأنها ريح شرقية قبول فأعطته الريح من إخبارها بما جاءت به من طيبها ما يعطيه قبولها لو أقبلت و رؤيتها لو طلعت عليه كما تطلع الشمس لأن الصبا ريح شرقية و الشروق طلوع الشمس و الإشراق ضوء الشمس و قوله ناشدتك أي طالبتك مقسما بالله و الناشد الطالب فهو كالمستفهم و هذا يدلك على قلة معرفته بمحبوبه حيث جعل له أمثالا لقوله من أين هذا النفس الطيب فإنه ثم من له أنفاس طيبة فلو استفرغ في شغله بمحبوبه و لم ير مشهودا له سواه ما استفهم إذ كل من استفهم فقد أحضر ذلك في ذهنه فهذا شاعر أحضر الاشتراك في ذهنه فشهد على نفسه بنقصان المعرفة إن كان عارفا و نقصان المحبة إن كان محبا عاشقا فإن أراد من المحبوب كثرة وجوهه و تجليه في أعيان متعددة كالاسماء الإلهية لله مع كونه ذاتا واحدة و مع هذا فله تسعة و تسعون اسما فما فوق ذلك فيريد في أي اسم كان لما هبت هذه الريح و هي نسمة قبول إلهي لطيفة الهبوب أورثت في القلب لطفا ورقة بهبوبها فاستفهم الريح لما جاءت به من الطيب المستلذ فقال



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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