الفتوحات المكية

رقم السفر من 37 : [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17]
[18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37]

الصفحة - من السفر وفق مخطوطة قونية (المقابل في الطبعة الميمنية)

  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
futmak.com - الفتوحات المكية - الصفحة 4227 - من السفر  من مخطوطة قونية

الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

﴿وَ يَأْتِ بِآخَرِينَ﴾ [النساء:133] فنبه بإتيان قوم آخرين على هذا الارتباط فإنه يلزم من حقيقة الإضافة عقلا و وجودا تصور المتضايفين فلا حرية مع الإضافة و الربوبية و الألوهية إضافة و لما لم يكن بين الحق و الخلق مناسبة و لا إضافة بل هو الغني عن العالمين و ذلك لا يكون لذات موجودة إلا لذات الحق فلا يربطها كون و لا تدركها عين و لا يحيط بها حد و لا يفيدها برهان وجدانها في العقل ضروري كما إن نفي صفات التعلق التي تدخلها تحت التقييد نظري

[حرية العبد في عدميته و حرية الذات في وجودها]

فإذا أراد العبد التحقق بهذا المقام فإنه مقام تحقق لا مقام تخلق و نظر أنه لا يصح له ذلك إلا بزوال الافتقار الذي يصحبه لإمكانه و يرى أن الغيرة الإلهية تقتضي أن لا يتصف بالوجود إلا اللّٰه لما يقتضيه الوجود من الدعوى فعلم بهذا النظر أن نسبة الوجود إلى الممكن محال لأن الغيرة حد مانع من ذلك فنظر إلى عينه فإذا هو معدوم لا وجود له و أن العدم له وصف نفسي فلم يخطر له الوجود بخاطر فزال الافتقار و بقي حرا في عدميته حرية الذات في وجودها

[وقوف الممكن مع عينه هو الحرية و مع استعداده هو العبودية]

ثم إنه أراد أن يعرف ما يناسب الأسماء الإلهية التي لهذه الذات من ذات الممكن المعدوم فرأى إن كل عين من عيون الممكنات على استعداد لا يكون في غيره ليقع التمييز بين الأعيان فما وقع بين ذات الممكن و ذات الحق بالوجود للحق الواجب و العدم للممكن الواجب فجعل هذه الاستعدادات له بمنزلة الأسماء للحق و الوجود في أعيان الممكنات لله تعالى فإذا ظهر في عين من أعيان الممكنات لنفسه باسم ما من الأسماء الإلهية أعطاه استعداد تلك العين اسما حادثا تسمى به فيقال هذا عرش و هذا عقل و هذا قلم و لوح و كرسي و فلك و ملك و نار و هوى و ماء و أرض و معدن و نبات و حيوان و إنسان ما بين أجناس و أنواع ثم سرت هذه الحقيقة في الأشخاص فيقال زيد و عمرو و هذا الفرس و هذا الحجر و هذه الشجرة هذا كله أعطاه استعداد أعيان الممكنات فاستدللت بآثارها في الوجود على ما هي عليه من الحقائق في ذاتها كما استدللت بآثار الأسماء في الوجود على الأسماء الإلهية و ما للمسمى عين يقع عليها الإدراك فإذا وقف الممكن مع عينه كان حرا لا عبودية فيه و إذا وقف مع استعداداته كان عبدا فقيرا

[الحرية على مستوى الخاصة و في لسان الخصوص]

فليس لنا مقام في الحرية المطلقة إلا أن يكون مشهدنا ما ذكرناه فلا تحدث نفسك بغير هذا و من لا يشهد هذا المقام فإنه لا يعلم أبدا مدلول قوله



هذه نسخة نصية حديثة موزعة بشكل تقريبي وفق ترتيب صفحات مخطوطة قونية
  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

ترقيم الصفحات موافق لمخطوطة قونية (من 37 سفر) بخط الشيخ محي الدين ابن العربي - العمل جار على إكمال هذه النسخة.
(المقابل في الطبعة الميمنية)

 
الوصول السريع إلى [الأبواب]: -
[0] [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17] [18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37] [38] [39] [40] [41] [42] [43] [44] [45] [46] [47] [48] [49] [50] [51] [52] [53] [54] [55] [56] [57] [58] [59] [60] [61] [62] [63] [64] [65] [66] [67] [68] [69] [70] [71] [72] [73] [74] [75] [76] [77] [78] [79] [80] [81] [82] [83] [84] [85] [86] [87] [88] [89] [90] [91] [92] [93] [94] [95] [96] [97] [98] [99] [100] [101] [102] [103] [104] [105] [106] [107] [108] [109] [110] [111] [112] [113] [114] [115] [116] [117] [118] [119] [120] [121] [122] [123] [124] [125] [126] [127] [128] [129] [130] [131] [132] [133] [134] [135] [136] [137] [138] [139] [140] [141] [142] [143] [144] [145] [146] [147] [148] [149] [150] [151] [152] [153] [154] [155] [156] [157] [158] [159] [160] [161] [162] [163] [164] [165] [166] [167] [168] [169] [170] [171] [172] [173] [174] [175] [176] [177] [178] [179] [180] [181] [182] [183] [184] [185] [186] [187] [188] [189] [190] [191] [192] [193] [194] [195] [196] [197] [198] [199] [200] [201] [202] [203] [204] [205] [206] [207] [208] [209] [210] [211] [212] [213] [214] [215] [216] [217] [218] [219] [220] [221] [222] [223] [224] [225] [226] [227] [228] [229] [230] [231] [232] [233] [234] [235] [236] [237] [238] [239] [240] [241] [242] [243] [244] [245] [246] [247] [248] [249] [250] [251] [252] [253] [254] [255] [256] [257] [258] [259] [260] [261] [262] [263] [264] [265] [266] [267] [268] [269] [270] [271] [272] [273] [274] [275] [276] [277] [278] [279] [280] [281] [282] [283] [284] [285] [286] [287] [288] [289] [290] [291] [292] [293] [294] [295] [296] [297] [298] [299] [300] [301] [302] [303] [304] [305] [306] [307] [308] [309] [310] [311] [312] [313] [314] [315] [316] [317] [318] [319] [320] [321] [322] [323] [324] [325] [326] [327] [328] [329] [330] [331] [332] [333] [334] [335] [336] [337] [338] [339] [340] [341] [342] [343] [344] [345] [346] [347] [348] [349] [350] [351] [352] [353] [354] [355] [356] [357] [358] [359] [360] [361] [362] [363] [364] [365] [366] [367] [368] [369] [370] [371] [372] [373] [374] [375] [376] [377] [378] [379] [380] [381] [382] [383] [384] [385] [386] [387] [388] [389] [390] [391] [392] [393] [394] [395] [396] [397] [398] [399] [400] [401] [402] [403] [404] [405] [406] [407] [408] [409] [410] [411] [412] [413] [414] [415] [416] [417] [418] [419] [420] [421] [422] [423] [424] [425] [426] [427] [428] [429] [430] [431] [432] [433] [434] [435] [436] [437] [438] [439] [440] [441] [442] [443] [444] [445] [446] [447] [448] [449] [450] [451] [452] [453] [454] [455] [456] [457] [458] [459] [460] [461] [462] [463] [464] [465] [466] [467] [468] [469] [470] [471] [472] [473] [474] [475] [476] [477] [478] [479] [480] [481] [482] [483] [484] [485] [486] [487] [488] [489] [490] [491] [492] [493] [494] [495] [496] [497] [498] [499] [500] [501] [502] [503] [504] [505] [506] [507] [508] [509] [510] [511] [512] [513] [514] [515] [516] [517] [518] [519] [520] [521] [522] [523] [524] [525] [526] [527] [528] [529] [530] [531] [532] [533] [534] [535] [536] [537] [538] [539] [540] [541] [542] [543] [544] [545] [546] [547] [548] [549] [550] [551] [552] [553] [554] [555] [556] [557] [558] [559] [560]


يرجى ملاحظة أن بعض المحتويات تتم ترجمتها بشكل شبه تلقائي!