الفتوحات المكية

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و إذ قد ثبت هذا عند المحققين مع تفاضل رتبهم في درج التحقيق فلنقل إن الحقائق أعطت لمن وقف عليها أن لا يتقيد وجود الحق مع وجود العالم بقبلية و لا معية و لا بعدية زمانية فإن التقدم الزماني و المكاني في حق اللّٰه ترمي به الحقائق في وجه القائل به على التحديد اللهم إلا أن قال به من باب التوصيل كما قاله الرسول صلى اللّٰه عليه و سلم و نطق به الكتاب إذ ليس كل أحد يقوى على كشف هذه الحقائق فلم يبق لنا أن نقول إلا أن الحق موجود بذاته لذاته مطلق الوجود غير مقيد بغيره و لا معلول عن شيء و لا علة لشيء بل هو خالق المعلولات و العلل و الملك القدوس الذي لم يزل و أن العالم موجود بالله تعالى لا بنفسه و لا لنفسه مقيد الوجود بوجود الحق في ذاته فلا يصح وجود العالم البتة إلا بوجود الحق و إذا انتفى الزمان عن وجود الحق و عن وجود مبدأ العالم فقد وجد العالم في غير زمان فلا نقول من جهة ما هو الأمر عليه إن اللّٰه موجود قبل العالم إذ قد ثبت أن القبل من صيغ الزمان و لا زمان و لا إن العالم موجود بعد وجود الحق إذ لا بعدية و لا مع وجود الحق فإن الحق هو الذي أوجده و هو فاعله و مخترعه و لم يكن شيئا و لكن كما قلنا الحق موجود بذاته و العالم موجود به فإن سأل سائل ذو و هم متى كان وجود العالم من وجود الحق قلنا متى سؤال زماني و الزمان من عالم النسب و هو مخلوق لله تعالى لأن عالم النسب له خلق التقدير لا خلق الإيجاد فهذا سؤال باطل فانظر كيف تسأل فإياك إن تحجبك أدوات التوصيل عن تحقيق هذه المعاني في نفسك و تحصيلها فلم يبق إلا وجود صرف خالص لا عن عدم و هو وجود الحق تعالى و وجود عن عدم عين الموجود نفسه و هو وجود العالم و لا بينية بين الوجودين و لا امتداد إلا التوهم المقدر الذي يحيله العلم و لا يبقى منه شيئا و لكن وجود مطلق و مقيد وجود فاعل و وجود منفعل هكذا أعطت الحقائق و السلام



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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