الفتوحات المكية

رقم السفر من 37 : [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17]
[18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37]

الصفحة - من السفر وفق مخطوطة قونية (المقابل في الطبعة الميمنية)

  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
futmak.com - الفتوحات المكية - الصفحة 3176 - من السفر  من مخطوطة قونية

الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

أصل أعمال العبادات مبنية على التوقيف ينبغي أن لا يزاد فيها و لا ينقص منها و المحرم بالحج كالمحرم بالصلاة فلا ينبغي أن يفعل فيها إلا ما شرع أن يفعل فيها و من الأفعال في العبادات ما هو مباح له فعله أو تركه و منها ما يكون من الفعل فيها مرغبا و منها أفعال تقدح في كمالها و منها أفعال تبطلها و لو كانت عبادة كمن تعين عليه كلام و هو في الصلاة فإن تكلم بذلك بطلت الصلاة أو فعل فعلا يجب عليه مما يبطل الصلاة فعله و لا خلاف بين العلماء في أنه إن طاف لا يؤثر في حجه فسادا و لا بطلانا

[الشبه بين الحق و العبد من جهة المباح]

الحقائق لا تتبدل فالتطوع لا يكون وجوبا و التطوع ما يكون المكلف فيه مخيرا إن شاء فعله و إن شاء تركه فله الفعل و الترك فمن رأى الترك لم يؤثر في حكم التطوع تحريما و لا كراهة و من رأى الفعل لم يؤثر في حكمه وجوبا و هذا سار في جميع أحكام الشرائع الخمسة فنسبة التطوع للعبد نسبة أفعال اللّٰه إلى اللّٰه لا يجب عليه فعلها و لا تركها و لهذا جعل المشيئة في ذلك فأكمل ما يكون العبد في اتصافه بصفة الحق في تصرفه في المباح فإن الربوبية ظاهرة فيه و الإباحة مقام النفس و عينها و خاطرها من الأحكام الخمسة الشرعية لأنها على الصورة أوجدها اللّٰه فلا بد أن يكون حكمها هذا و أما شبه الإيجاب فلا يكون ذلك إلا في النذر لا غيره فإن الحق أوجب على نفسه أمورا ذكرها لنا في كتابه و صاحب النذر أوجب على نفسه ما لم يوجب اللّٰه عليه ابتداء فما أوجب اللّٰه على العبد الوفاء بنذره إلا بالنسبة التي أوجب على نفسه فتقوى الشبه في وجوب النذر كما تقوى في التطوع

[الشبه بين الحق و العبد من جهة التحريم و الوجوب]



هذه نسخة نصية حديثة موزعة بشكل تقريبي وفق ترتيب صفحات مخطوطة قونية
  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

ترقيم الصفحات موافق لمخطوطة قونية (من 37 سفر) بخط الشيخ محي الدين ابن العربي - العمل جار على إكمال هذه النسخة.
(المقابل في الطبعة الميمنية)

 
الوصول السريع إلى [الأبواب]: -
[0] [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17] [18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37] [38] [39] [40] [41] [42] [43] [44] [45] [46] [47] [48] [49] [50] [51] [52] [53] [54] [55] [56] [57] [58] [59] [60] [61] [62] [63] [64] [65] [66] [67] [68] [69] [70] [71] [72] [73] [74] [75] [76] [77] [78] [79] [80] [81] [82] [83] [84] [85] [86] [87] [88] [89] [90] [91] [92] [93] [94] [95] [96] [97] [98] [99] [100] [101] [102] [103] [104] [105] [106] [107] [108] [109] [110] [111] [112] [113] [114] [115] [116] [117] [118] [119] [120] [121] [122] [123] [124] [125] [126] [127] [128] [129] [130] [131] [132] [133] [134] [135] [136] [137] [138] [139] [140] [141] [142] [143] [144] [145] [146] [147] [148] [149] [150] [151] [152] [153] [154] [155] [156] [157] [158] [159] [160] [161] [162] [163] [164] [165] [166] [167] [168] [169] [170] [171] [172] [173] [174] [175] [176] [177] [178] [179] [180] [181] [182] [183] [184] [185] [186] [187] [188] [189] [190] [191] [192] [193] [194] [195] [196] [197] [198] [199] [200] [201] [202] [203] [204] [205] [206] [207] [208] [209] [210] [211] [212] [213] [214] [215] [216] [217] [218] [219] [220] [221] [222] [223] [224] [225] [226] [227] [228] [229] [230] [231] [232] [233] [234] [235] [236] [237] [238] [239] [240] [241] [242] [243] [244] [245] [246] [247] [248] [249] [250] [251] [252] [253] [254] [255] [256] [257] [258] [259] [260] [261] [262] [263] [264] [265] [266] [267] [268] [269] [270] [271] [272] [273] [274] [275] [276] [277] [278] [279] [280] [281] [282] [283] [284] [285] [286] [287] [288] [289] [290] [291] [292] [293] [294] [295] [296] [297] [298] [299] [300] [301] [302] [303] [304] [305] [306] [307] [308] [309] [310] [311] [312] [313] [314] [315] [316] [317] [318] [319] [320] [321] [322] [323] [324] [325] [326] [327] [328] [329] [330] [331] [332] [333] [334] [335] [336] [337] [338] [339] [340] [341] [342] [343] [344] [345] [346] [347] [348] [349] [350] [351] [352] [353] [354] [355] [356] [357] [358] [359] [360] [361] [362] [363] [364] [365] [366] [367] [368] [369] [370] [371] [372] [373] [374] [375] [376] [377] [378] [379] [380] [381] [382] [383] [384] [385] [386] [387] [388] [389] [390] [391] [392] [393] [394] [395] [396] [397] [398] [399] [400] [401] [402] [403] [404] [405] [406] [407] [408] [409] [410] [411] [412] [413] [414] [415] [416] [417] [418] [419] [420] [421] [422] [423] [424] [425] [426] [427] [428] [429] [430] [431] [432] [433] [434] [435] [436] [437] [438] [439] [440] [441] [442] [443] [444] [445] [446] [447] [448] [449] [450] [451] [452] [453] [454] [455] [456] [457] [458] [459] [460] [461] [462] [463] [464] [465] [466] [467] [468] [469] [470] [471] [472] [473] [474] [475] [476] [477] [478] [479] [480] [481] [482] [483] [484] [485] [486] [487] [488] [489] [490] [491] [492] [493] [494] [495] [496] [497] [498] [499] [500] [501] [502] [503] [504] [505] [506] [507] [508] [509] [510] [511] [512] [513] [514] [515] [516] [517] [518] [519] [520] [521] [522] [523] [524] [525] [526] [527] [528] [529] [530] [531] [532] [533] [534] [535] [536] [537] [538] [539] [540] [541] [542] [543] [544] [545] [546] [547] [548] [549] [550] [551] [552] [553] [554] [555] [556] [557] [558] [559] [560]


يرجى ملاحظة أن بعض المحتويات تتم ترجمتها بشكل شبه تلقائي!