الفتوحات المكية

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الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

فقصد الحق مباهاة الملائكة بهم و سؤاله إياهم ما أراد هؤلاء حجاب رقيق على قصد المباهاة جبر القلوب الملائكة و لما ظهر الإباق في عبيد اللّٰه و استرقتهم الأهواء و الشهوات و صاروا عبيدا لها و خلق اللّٰه النار من الغيرة الإلهية فغارت لله و طلبت الانتقام من العبيد الذين أبقوا و «قد جاء الخبر أن العبد إذا أبق فقد كفر» و الكفر سبب الاسترقاق فصاروا عبيدا للأهواء بالكفر فاحتالت النار على أخذهم من يد الأهواء للانتقام فلما استحقتهم النار و أرادت إيقاع العذاب بهم اتفق أن وافق من الزمان يوم عرفة فجاء اليوم شفيعا عند اللّٰه في هؤلاء العبيد بأن يعتقهم من ملك النار إذ كانت النار من عبيد اللّٰه المطيعين له فجاد اللّٰه عليهم بشفاعة ذلك اليوم فأعتق اللّٰه رقابهم من النار فلم يكن للنار عليهم سبيل

[طهارة القلوب من الشهوات المردية]

فكثر خير اللّٰه و طاب و طهر اللّٰه قلوبهم من الشهوات المردية لا من أعيان الشهوات فأبقى أعيان الشهوات عليهم و أزال تعلقها بما لا يرضى اللّٰه فلما أوقفهم بعرفات أظهر عليهم أعيان الشهوات لتنظر إليها الملائكة و لما كانت الملائكة لا شهوة لهم كانوا مطيعين بالذات و لم يقم بهم مانع شهوة يصرفهم عن طاعة ربهم فلم يظهر سلطان لقوة الملائكة عندهم إذ ليس لهم منازع فكانوا عقولا بلا منازع فلما أبصرت الملائكة عقول هؤلاء العبيد مع كثرة المنازعين لهم من الشهوات و رأوا حضرة البشر ملأى منها علموا أنه لو لا ما رزقهم اللّٰه من القوة الإلهية على دفع حكم تلك الشهوات المردية فيهم ما أطاقوا و أنهم ربما لو ابتلاهم اللّٰه بما ابتلى به البشر من الشهوات ما أطاقوا دفعها فقصرت نفوسهم عندهم و ما هم فيه من عبادة ربهم و علموا



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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