الفتوحات المكية

رقم السفر من 37 : [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17]
[18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37]

الصفحة - من السفر وفق مخطوطة قونية (المقابل في الطبعة الميمنية)

  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
futmak.com - الفتوحات المكية - الصفحة 10812 - من السفر  من مخطوطة قونية

الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

«قال رسول اللّٰه ﷺ حلوا أنفسكم بالطاعة و ألبسوها قناع المخافة و اجعلوا آخرتكم لأنفسكم و سعيكم لمستقركم و اعلموا أنكم عن قليل راحلون و إلى اللّٰه صائرون و لا يغني عنكم هنالك إلا صالح عمل قدمتموه أو حسن ثواب حزتموه إنكم إنما تقدمون على ما قدمتم و تجازون على ما أسلفتم و لا تخدعنكم زخارف دنيا دنية عن مراتب جنات علية فكان قد كشف القناع و ارتفع الارتياب و لاقى كل امرئ مستقره و عرف مثواه و مقيله»

(وصية نبوية في التحذير
عن المكر و الخداع)

«قال رسول اللّٰه ﷺ لا تكونوا ممن خدعته العاجلة و غرته الأمنية و استهوته الخدعة فركن إلى دار سريعة الزوال وشيكة الانتقال إنه لم يبق من دنياكم هذه في جنب ما مضى إلا كإناخة راكب أو صر حالب فعلام تعرجون و ما ذا تنتظرون فكأنكم و اللّٰه بما قد أصبحتم فيه من الدنيا كان لم يكن و ما تصيرون إليه من الآخرة كان لم يزل فخذوا الأهبة لأزوف النقلة و أعدوا الزاد لقرب الرحلة و اعلموا أن كل امرئ على ما قدم قادم و على ما خلف نادم»

(وصية نبوية في ذم انبساط الأمل و نسيان الأجل)

«قال رسول اللّٰه ص» «أيها الناس بسيط الأمل متقدم حلول الأجل و المعاد مضمار العمل و مغتبط بما احتقب غانم و مبتئس بما فاته من العمل نادم أيها الناس إن الطمع فقر و الياس غنى و القناعة راحة و العزلة عبادة و العمل كنز و الدنيا معدن و اللّٰه ما يسرني ما مضى من دنياكم هذه بأهداب بردي هذا و لما بقي منها أشبه بما مضى من الماء بالماء و كل إلى نفاد وشيك و زوال قريب فبادروا أنتم في مهل الأنفاس و حدة الأحلاس قبل أن يؤخذ بالكظم و لا يغني الندم»

(وصية نبوية
و تعريف)



هذه نسخة نصية حديثة موزعة بشكل تقريبي وفق ترتيب صفحات مخطوطة قونية
  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

ترقيم الصفحات موافق لمخطوطة قونية (من 37 سفر) بخط الشيخ محي الدين ابن العربي - العمل جار على إكمال هذه النسخة.
(المقابل في الطبعة الميمنية)

 
الوصول السريع إلى [الأبواب]: -
[0] [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17] [18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37] [38] [39] [40] [41] [42] [43] [44] [45] [46] [47] [48] [49] [50] [51] [52] [53] [54] [55] [56] [57] [58] [59] [60] [61] [62] [63] [64] [65] [66] [67] [68] [69] [70] [71] [72] [73] [74] [75] [76] [77] [78] [79] [80] [81] [82] [83] [84] [85] [86] [87] [88] [89] [90] [91] [92] [93] [94] [95] [96] [97] [98] [99] [100] [101] [102] [103] [104] [105] [106] [107] [108] [109] [110] [111] [112] [113] [114] [115] [116] [117] [118] [119] [120] [121] [122] [123] [124] [125] [126] [127] [128] [129] [130] [131] [132] [133] [134] [135] [136] [137] [138] [139] [140] [141] [142] [143] [144] [145] [146] [147] [148] [149] [150] [151] [152] [153] [154] [155] [156] [157] [158] [159] [160] [161] [162] [163] [164] [165] [166] [167] [168] [169] [170] [171] [172] [173] [174] [175] [176] [177] [178] [179] [180] [181] [182] [183] [184] [185] [186] [187] [188] [189] [190] [191] [192] [193] [194] [195] [196] [197] [198] [199] [200] [201] [202] [203] [204] [205] [206] [207] [208] [209] [210] [211] [212] [213] [214] [215] [216] [217] [218] [219] [220] [221] [222] [223] [224] [225] [226] [227] [228] [229] [230] [231] [232] [233] [234] [235] [236] [237] [238] [239] [240] [241] [242] [243] [244] [245] [246] [247] [248] [249] [250] [251] [252] [253] [254] [255] [256] [257] [258] [259] [260] [261] [262] [263] [264] [265] [266] [267] [268] [269] [270] [271] [272] [273] [274] [275] [276] [277] [278] [279] [280] [281] [282] [283] [284] [285] [286] [287] [288] [289] [290] [291] [292] [293] [294] [295] [296] [297] [298] [299] [300] [301] [302] [303] [304] [305] [306] [307] [308] [309] [310] [311] [312] [313] [314] [315] [316] [317] [318] [319] [320] [321] [322] [323] [324] [325] [326] [327] [328] [329] [330] [331] [332] [333] [334] [335] [336] [337] [338] [339] [340] [341] [342] [343] [344] [345] [346] [347] [348] [349] [350] [351] [352] [353] [354] [355] [356] [357] [358] [359] [360] [361] [362] [363] [364] [365] [366] [367] [368] [369] [370] [371] [372] [373] [374] [375] [376] [377] [378] [379] [380] [381] [382] [383] [384] [385] [386] [387] [388] [389] [390] [391] [392] [393] [394] [395] [396] [397] [398] [399] [400] [401] [402] [403] [404] [405] [406] [407] [408] [409] [410] [411] [412] [413] [414] [415] [416] [417] [418] [419] [420] [421] [422] [423] [424] [425] [426] [427] [428] [429] [430] [431] [432] [433] [434] [435] [436] [437] [438] [439] [440] [441] [442] [443] [444] [445] [446] [447] [448] [449] [450] [451] [452] [453] [454] [455] [456] [457] [458] [459] [460] [461] [462] [463] [464] [465] [466] [467] [468] [469] [470] [471] [472] [473] [474] [475] [476] [477] [478] [479] [480] [481] [482] [483] [484] [485] [486] [487] [488] [489] [490] [491] [492] [493] [494] [495] [496] [497] [498] [499] [500] [501] [502] [503] [504] [505] [506] [507] [508] [509] [510] [511] [512] [513] [514] [515] [516] [517] [518] [519] [520] [521] [522] [523] [524] [525] [526] [527] [528] [529] [530] [531] [532] [533] [534] [535] [536] [537] [538] [539] [540] [541] [542] [543] [544] [545] [546] [547] [548] [549] [550] [551] [552] [553] [554] [555] [556] [557] [558] [559] [560]


يرجى ملاحظة أن بعض المحتويات تتم ترجمتها بشكل شبه تلقائي!