Les révélations mecquoises: futuhat makkiyah

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(وفق مخطوطة قونية)

«قال صلى اللّٰه عليه و سلم أما أهل النار الذين هم أهلها فإنهم لا يموتون فيها و لا يحيون» و قد قدمنا في الباب الذي قبل هذا صورة النعيم و العذاب و سبب ذلك أنه بقي ما أودع اللّٰه عليهم في الأفلاك و حركات الكواكب من الأمر الإلهي و تغير منه على قدر ما تغير من صور الأفلاك بالتبديل و من الكواكب بالطمس و الانتثار فاختلف حكمها بزيادة و نقص لأن التغيير وقع في الصور لا في الذوات

[الملائكة المهيمة الكروبيون:الحاجب الكاتب اللوح]

و اعلم أن اللّٰه تعالى لما تسمى بالملك رتب العالم ترتيب المملكة فجعل له خواص من عباده و هم الملائكة المهيمة جلساء الحق تعالى بالذكر ﴿لاٰ يَسْتَكْبِرُونَ عَنْ عِبٰادَتِهِ وَ لاٰ يَسْتَحْسِرُونَ يُسَبِّحُونَ اللَّيْلَ وَ النَّهٰارَ لاٰ يَفْتُرُونَ﴾ ثم اتخذ حاجبا من الكروبيين واحدا أعطاه علمه في خلقه و هو علم مفصل في إجمال فعلمه سبحانه كان فيه مجلى له و سمي ذلك الملك نونا فلا يزال معتكفا في حضرة علمه عزَّ وجلَّ و هو رأس الديوان الإلهي و الحق من كونه عليما لا يحتجب عنه ثم عين من ملائكته ملكا آخر دونه في المرتبة سماه القلم و جعل منزلته دون النون و اتخذه كاتبا فيعلمه اللّٰه سبحانه من علمه ما شاءه في خلقه بوساطة النون و لكن من العلم الإجمالي و مما يحوي عليه العلم الإجمالي علم التفصيل و هو من بعض علوم الإجمال لأن العلوم لها مراتب من جملتها علم التفصيل فما عند القلم الإلهي من مراتب العلوم المجملة إلا علم التفصيل مطلقا و بعض العلوم المفصلة لا غير و اتخذ هذا الملك كاتب ديوانه و تجلى له من اسمه القادر فأمده من هذا التجلي الإلهي و جعل نظره إلى جهة عالم التدوين و التسطير فخلق له لوحا و أمره أن يكتب فيه جميع ما شاء سبحانه أن يجريه في خلقه إلى يوم القيامة خاصة و أنزله منه منزلة التلميذ من الأستاذ فتوجهت عليه هنا الإرادة الإلهية فخصصت له هذا القدر من العلوم المفصلة و له تجليان من الحق بلا واسطة و ليس للنون سوى تجل واحد في مقام أشرف فإنه لا يدل تعدد التجليات و لا كثرتها على الأشرفية و إنما الأشرف من له المقام الأعم فأمر اللّٰه النون أن يمد القلم بثلاثمائة و ستين علما من علوم الإجمال تحت كل علم تفاصيل و لكن معينة منحصرة لم يعطه غيرها يتضمن كل علم إجمالي من تلك العلوم ثلاثمائة و ستين علما من علوم التفصيل فإذا ضربت ثلاثمائة و ستين في مثلها فما خرج لك فهو مقدار علم اللّٰه تعالى في خلقه إلى يوم القيامة خاصة ليس عند اللوح من العلم الذي كتبه فيه هذا القلم أكثر من هذا لا يزيد و لا ينقص و لهذه الحقيقة الإلهية جعل اللّٰه الفلك الأقصى ثلاثمائة و ستين درجة و كل درجة مجملة لما تحوي عليه من تفصيل الدقائق و الثواني و الثوالث إلى ما شاء اللّٰه سبحانه مما يظهره في خلقه إلى يوم القيامة و سمي هذا القلم الكاتب

[الملائكة المدبرة:الولاة الاثنا عشر لعالم الخلق]

ثم إن اللّٰه سبحانه و تعالى أمر أن يولي على عالم الخلق اثني عشر واليا يكون مقرهم في الفلك الأقصى منا في بروج فقسم الفلك الأقصى اثني عشر قسما جعل كل قسم منها برجا لسكنى هؤلاء الولاة مثل أبراج سور المدينة فأنزلهم اللّٰه إليها فنزلوا فيها كل وال على تخت في برجه و رفع اللّٰه الحجاب الذي بينهم و بين اللوح المحفوظ فرأوا فيه مسطرا أسماءهم و مراتبهم و ما شاء الحق أن يجريه على أيديهم في عالم الخلق إلى يوم القيامة فارتقم ذلك كله في نفوسهم و علموه علما محفوظا لا يتبدل و لا يتغير ثم جعل اللّٰه لكل واحد من هؤلاء الولاة حاجبين ينفذان أوامرهم إلى نوابهم و جعل بين كل حاجبين سفيرا يمشي بينهما بما يلقى إليه كل واحد منهما و عين اللّٰه لهؤلاء الذين جعلهم اللّٰه حجابا لهؤلاء الولاة في الفلك الثاني منازل يسكنونها و أنزلهم إليها و هي الثمانية و العشرون منزلة التي تسمى المنازل التي ذكرها اللّٰه في كتابه فقال



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