Les révélations mecquoises: futuhat makkiyah

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﴿وَ نَفَخْتُ فِيهِ مِنْ رُوحِي﴾ [الحجر:29] فمن روح واحد صح السر المنفوخ في المنفوخ فيه و هو النفس و قوله ﴿فِي أَيِّ صُورَةٍ مٰا شٰاءَ رَكَّبَكَ﴾ [الإنفطار:8] يريد الاستعدادات فيكون بحكم الاستعداد في قبول الأمر الإلهي فلما كان أصل هذه النفوس الجزئية الطهارة من حيث أبيها و لم يظهر لها عين إلا بوجود هذا الجسد الطبيعي فكانت الطبيعة الأب الثاني خرجت ممتزجة فلم يظهر فيها إشراق النور الخالص المجرد عن المواد و لا تلك الظلمة الغائية التي هي حكم الطبيعة فالطبيعة شبيهة بالمعدن و النفس الكلية شبيهة بالأفلاك التي لها لفعل و عن حركاتها يكون الانفعال في العناصر و الجسد الكون في المعدن بمنزلة الجسم الإنساني و الخاصية التي هي روج ذلك الجسد المعدني بمنزلة النفس الجزئية التي للجسم الإنساني و هو الروح المنفوخ و كما أن الأجساد المعدنية على مراتب لعلل طرأت عليهم في حال التكوين مع كونهم يطلبون درجة الكمال التي لها ظهرت أعيانهم كذلك الإنسان خلق للكمال فما صرفه عن ذلك الكمال إلا علل و أمراض طرأت عليهم إما في أصل ذواتهم و إما بأمور عرضية فاعلم ذلك فلنبتدئ بما ينبغي أن يليق بهذا الباب و هو أن نقول

[النفوس الجزئية يتعين عليها طلب العلم]

إن النفوس الجزئية لما ملكها اللّٰه تدبير هذا البدن و استخلفها عليه و بين لها أنها خليفة فيه لتتنبه على أن لها موجدا استخلفها فيتعين عليها طلب العلم بذلك الذي استخلفها هل هو من جنسها أو شبيه بها بضرب ما من ضروب المشابهة أو لا يشبهها فتوفرت دواعيها لمعرفة ذلك من نفسها فبينما هي كذلك على هذه الحالة في طلب الطريق الموصلة إلى ذلك و إذا بشخص قد تقدمها في الوجود من النفوس الجزئية فأنسوا به للشبه فقالوا له أنت تقدمتنا في هذه الدار فهل خطر لك ما خطر لنا قال و ما خطر لكم قالوا طلب العلم بمن استخلفنا في تدبير هذا الهيكل فقال عندي بذلك علم صحيح جئت به ممن استخلفكم و جعلني رسولا إلى جنسي لأبين لهم طريق العلم الموصل إليه الذي فيه سعادتهم فقال الواحد إياه أطلب فعرفني بذلك الطريق حتى أسلك فيه و قال الآخر لا فرق بيني و بينك فأريد أن استنبط الطريق إلى معرفته من ذاتي و لا أقلدك في ذلك فإن كنت أنت حصل لك ما أنت عليه و ما جئت به بالنظر الذي خطر لي فلما ذا أكون ناقص الهمة و أقلدك و إن كان حصل لك باختصاص منه كما خصنا بالوجود بعد أن لم نكن فدعوى بلا برهان فلم يلتفت إلى قوله و أخذ يفكر و ينظر بعقله في ذلك فهذا بمنزلة من أخذ العلم بالأدلة العقلية من النظر الفكري و مثال الثاني مثال أتباع الرسول و مقلديه فيما أخبر به من العلم بصانعهم و مثال ذلك الشخص الذي اختلف في اتباعه هذان الشخصان مثال الرسول المعلم فشرع هذا العلم يبين الطريق الموصل إلى درجة الكمال و السعادة على ما اقتضاه نظر الشخص الواحد من الشخصين اللذين نظرا في شأن هذا المعلم و هو الذي لم يتبعه و لكن ما وقعت الموافقة معه إلا في بعض ما يقتضيه الأمر الطبيعي من مخالفة الطبع و لا كل مخالفة الطبع إلا بوزن خاص و مقدار معين و بهذا سمي كيمياء لدخول التقدير و الوزن فلما رأى ذلك هذا الشخص فرح بذلك حيث استقل به دون تقليده و رأى أن له شفوفا على صاحبه الذي قلده فاغتربه و أما المقلد فبقي على ما كان عليه من تقليد المعلم و زاد غير المقلد و هو ذلك الشخص بما رأى من الموافقة زهدا في تقليد هذا الشخص و انفرادا بنظره من أجل هذه الموافقة فسلك الرجلان أو الشخصان إن كانا امرأتين أو أحدهما امرأة في الطريق الواحد بحكم النظر و الآخر بحكم التقليد و أخذا في الرياضة و هو تهذيب الأخلاق و المجاهدة و هي المشاق البدنية من الجوع و العبادات العملية البدنية كالقيام الطويل في الصلاة و الدءوب عليها و الصيام و الحج و الجهاد و السياحة هذا بنظره و هذا بما شرع له أستاذه و معلمه المسمى شارعا فلما فرغا من حكم أسر الطبيعة العنصرية و ما بقي واحد منهما يأخذ من حكم الطبيعة العنصرية إلا الضروري الذي يحفظ به وجود هذا الجسم الذي بوجوده و اعتداله و بقائه يحصل لهذه النفس الجزئية مطلوبها من العلم بالله الذي استخلفها خاصة فإذا خرجا عن حكم الشهوات الطبيعية العنصرية و فتح لهما باب السماء الدنيا تلقى المقلد آدم عليه السّلام ففرح به و أنزله إلى جانبه و تلقى صاحب النظر المستقل روحانية القمر فأنزله عنده ثم إن صاحب النظر الذي هو نزيل القمر في خدمة آدم عليه السّلام و هو كالوزير له مأمورا من الحق بالتسخير له و رأى جميع ما عنده من العلوم لا يتعدى ما تحته من الأكر و لا علم له بما فوقه و أنه مقصور الأثر على ما دونه و رأى آدم أن عنده علم ما دونه و علم ما فوقه من الأمكنة و أنه يلقي إلى نزيله مما عنده مما ليس في وسع القمر أن يعرفه و علم أنه ما أنزله عليه إلا عناية ذلك المعلم الذي هو الرسول فاغتم صاحب النظر و ندم حيث لم يسلك على مدرجة ذلك الرسول و اعتقد الايمان به و أنه إذا رجع من سفرته تلك أن يتبع ذلك الرسول و يستأنف من أجله سفرا آخر ثم إن هذا التابع نزيل آدم علمه أبوه من الأسماء الإلهية على قدر ما رأى أنه يحمله مزاجه فإن للنشأة الجسمية العنصرية أثرا في النفوس الجزئية فما كلها على مرتبة واحدة في القبول فتقبل هذه ما لا تقبل غيرها و في أول سماء يقف من علم آدم على الوجه الإلهي الخاص الذي لكل موجود سوى اللّٰه الذي يحجبه عن الوقوف مع سببه و علته و صاحب النظر لا علم له بذلك الوجه أصلا و العلم بذلك الوجه هو العلم بالإكسير في الكيمياء الطبيعية فهذا هو إكسير العارفين و ما رأيت أحدا نبه عليه غيري و لو لا أني مأمور بالنصيحة لهذه الأمة بل لعباد اللّٰه ما ذكرته فعلم كل واحد منهما ما لهذا الفلك من الحكم الذي ولاة اللّٰه به في هذه الأركان الأربعة و المولدات و ما أوحى اللّٰه في هذه السماء من الأمر المختص بها في قوله



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