Les révélations mecquoises: futuhat makkiyah

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الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

كما «ورد في الإحسان أن تعبد اللّٰه كأنك تراه» فإذا جادل بالإحسان جادل كأنه يرى ربه و لا يرى ربه مجادلا إلا إذا رآه من حيث ما تطلبه الأسماء الإلهية من التضاد فاعلم ذلك

[حجابا الغفلة و العجلة]

و ما منعني من تحصيل هذا المقام إلا الغفلة لا غير فليس بيني و بينه أ الغفلة و هو حجاب لا يرفع و أما حجاب العجلة فأرجو بحمد اللّٰه أنه قد ارتفع عني و أما حجاب الغفلة فمن المحال رفعه دائما مع وجود التركيب حيث كان في المعاني أو في الأجسام و لو ارتفع هذا الحجاب لبطل سر الربوبية في حق هذا الشخص و هو الذي أشار إليه سهل بن عبد اللّٰه أو من كان يقوله إن للربوبية سرا لو ظهر لبطلت الربوبية لكنه ممكن الحصول بالنظر إلى نفسه و لكن لا أدري هل تقتضي الذات تحصيله و ظهوره في الوجود أم لا غير أني أعلم أنه ما وقع و مع هذا فلا أقطع يأسي من تحصيله مع علمي باستحالة ذلك و ينبغي للناصح نفسه أن يقارب هذا المقام جهد الاستطاعة و أما القائلون بالتشبه بالحضرة الإلهية جهد الطاقة و هو التخلق بالأسماء إنه عين المطلوب و الكمال فهو صحيح في باب السلوك لا في عين الحصول و أما في عين الحصول فلا تشبه بل هو عين الحق و الشيء لا يشبه نفسه فأعلى المظاهر مظاهر الجمع و هو عين التفريق

(السؤال السابع و الثمانون)ما يقتضي الحق من الموحدين

الجواب أن لا مزاحمة

[هو الظاهر من حيث المظاهر و هو الباطن من حيث الهوية]

و ذلك أن اللّٰه لما تسمى بالظاهر و الباطن نفى المزاحمة إذ الظاهر لا يزاحم الباطن و الباطن لا يزاحم الظاهر و إنما المزاحمة أن يكون ظاهران أو باطنان فهو الظاهر من حيث المظاهر و هو الباطن من حيث الهوية فالمظاهر متعددة من حيث أعيانها لا من حيث الظاهر فيها فالأحدية من ظهورها و العدد من أعيانها

[و إن تعدد المظاهر فما تعدد الظاهر]

فيقتضي الحق من الموحدين الذين وصفوا بصفة التوحيد أن يوحدوه من حيث هويته و إن تعددت المظاهر فما تعدد الظاهر فلا يرون شيئا إلا كان هو المرئي و الرائي و لا يطلبون شيئا إلا كان هو الطالب و الطلب و المطلوب و لا يسمعون شيئا إلا كان هو السامع و السمع و المسموع فلا تزاحم فلا منازعة فإن النزاع لا يحمله إلا التضاد و هو المماثل و المنافر و هو عين المماثل هنا إذ قد يكون الضدان ما ليس بمثلين بخلاف المخالف فإن حكم المخالف لا يقع منه مزاحمة و لا منازعة

[خلق اللّٰه للتفاحة تحمل اللون و الطعم و الرائحة و لا مزاحمة في الجوهر]



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