Les révélations mecquoises: futuhat makkiyah

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(وفق مخطوطة قونية)

فالعارف إذا كان مشهده الاسم الأول المقيد بالآخر الأول المطلق الذي لا يتقيد بالآخر رأى أن التلبس بالعبادة في الآخر الذي لا يجوز تعديه و لا فسحة فيه أولى فإنه فيه صاحب فرض من كل وجه لا يسعه تركه و من رأى أن التلبس بهذه العبادة بحكم الاسم الأول أولى لكونه لا علم له بإتمامها فلا يدري هل يموت قبل أن يتلقاه الاسم الآخر فإن لم يحرم فارق موطن التكليف و هو لم يتلبس بعبادة اللّٰه اقتضاها له الموطن فحرم تجليها الإلهي فهو بحسب ما أشهده الحق و ما خرج في هذا كله عن حكم اسم إلهي من الأسماء على شهود منه فإن قيل كيف يتعداه غير متلبس بهذه العبادة و الميقات يقضى عليه بسلطانه و هو الاسم الأول قلنا لا حكم للأسماء في الأشياء إلا باستعدادات الأشياء للقبول و قبولها بحسب الحال التي تكون عليها في نفسها من ذاتها فإن الأسباب الخارجة الموجبة لأمر ما تضعف عن مقاومة الأسباب الداخلة التي في المكلف فربما يكون حال هذا المتعدي حال الختم فيطلبه بالتأخير فيعرف ذلك الاسم الأول فيضعف موطن ميقاته عن التأثير فيه لأنه ليس عين مشهده فيتعدى إلى الميقات الثاني لأن له الاسم الآخر و لا شك أن الآخر في الطريق يتضمن حكمه ما تقدمه مضافا إلى خصوصيته بخلاف الأول فالأول يدرج في الثاني و ليس الثاني مدرجا في الأول

[كل لحظة إلهية متأخرة تتضمن ما تقدمها و فيها خصوصيتها]

و من أصول القوم أن العارف لو جلس مع اللّٰه كذا و كذا سنة و فاتته لحظة من اللّٰه في وقته كان الذي فإنه في تلك اللحظة أكثر مما ناله قبل ذلك و سببه أن كل لحظة إلهية متاخرة تتضمن ما تقدمها من اللحظات و فيها خصوصيتها التي بها تميزت و بتلك الخصوصية صحت لها الكثرة على ما تقدمها فلهذا لم ير بالتعدي بأسا محمد صلى اللّٰه عليه و سلم آخر المرسلين فحصل جميع مقامات الرسل و زاد بخصوصيته بلا شك لأنه آخر النبيين و في هذا إشارة لمن فهم فإن قيل إذا تلبس بالعبادة أولا و مر على الآخر و هو متلبس فقد حصل له ما في الآخر بمروره متلبسا بها قلنا هكذا هو إلا أنه لم يحصل له في الثاني الحكم الخاص بالثاني الذي هو الإنشاء منه و هو أوليته فيفوته أولية الإنشاء منه لهذه العبادة بالاسم الآخر فلهذا تعدى إليه قال السائل كذلك أيضا يفوته أولية الأول في الإنشاء قلنا إن كل أولية مضافة تحكم عليها حقيقة الأولية التي لا تضاف و هي المعتبرة فما فاته ما يتحسر عليه إذ حقيقتها موجودة في أولية الآخر و الآخر لا وجود له في الأول



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