Les révélations mecquoises: futuhat makkiyah

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(وفق مخطوطة قونية)

و لما أراد اللّٰه ما أراد من إظهار الركن الرابع جعله للخاطر الشيطاني و هو الركن العراقي فيبقى الركن الشامي للخاطر النفسي و إنما جعلنا الخاطر الشيطاني للركن العراقي لأن الشارع شرع أن يقال عنده أعوذ بالله من الشقاق و النفاق و سوء الأخلاق و بالذكر المشروع في كل ركن تعرف مراتب الأركان و على هذا الشكل المربع قلوب المؤمنين و ما عدا الرسل و الأنبياء المعصومين ليميز اللّٰه رسله و أنبياءه من سائر المؤمنين بالعصمة التي أعطاهم و ألبسهم إياها فليس لنبي إلا ثلاثة خواطر إلهي و ملكي و نفسي و قد يكون ذلك لبعض الأولياء الذين لهم جزء وافر من النبوة كسليمان الدنبلي لقيته و هو ممن له هذا الحال فأخبرني عن نفسه أن له بضعا و خمسين سنة ما خطر له خاطر قبيح و لأكثر الأولياء هذه الخواطر و زادوا بالخاطر الشيطاني العراقي فمنهم من ظهر عليه حكمه في الظاهر و هم عامة الخلق و منهم من يخطر له و لا يؤثر في ظاهره و هم المحفوظون من أوليائه

[للأولياء الحفظ الإلهي و للأنبياء العصمة]

و لما اعتبر اللّٰه الشكل الأول الذي للبيت جعل له الحجر على صورته و سماه حجرا لما حجر عليه أن ينال تلك المرتبة أحد من غير الأنبياء و المرسلين حكمة منه سبحانه فللأولياء الحفظ الإلهي و لهم العصمة أخبرني بعض الأولياء من أهل اللّٰه و هو عبد اللّٰه بن الأستاذ الموروري أن الشيخ عبد الرزاق أو غيره الشك مني بل غيره بلا شك فإني تذكرته رأى إبليس فقال له كيف حالك مع الشيخ أبي مدين عبد صالح إمام في التوحيد و التوكل كان ببجاية فقال إبليس ما شبهت نفسي فيما نلقي إليه في قلبه إلا كشخص بال في البحر المحيط فقيل له لم تبول فيه قال حتى أنجسه فلا تقع به الطهارة فهل رأيتم أجهل من هذا الشخص كذلك أنا و قلب أبي مدين كلما ألقيت فيه أمرا قلب عينه فأخبر أنه يلقي في قلوب الأولياء و هو الذي ذكرناه و ليس له على الأنبياء سبيل

[مقادير ارتفاع البيت و منازل القلب]



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