Mekkeli Fetihler: futuhat makkiyah

Volume number (out of 37): [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17]
[18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37]

الصفحة - من السفر وفق مخطوطة قونية (المقابل في الطبعة الميمنية)

  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
futmak.com - الفتوحات المكية - الصفحة 9810 - من السفر  من مخطوطة قونية

الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

و خير الشاكرين و ﴿خَيْرُ النّٰاصِرِينَ﴾ [آل عمران:150] و كل ذلك اتصف به أهل اللّٰه على السنة المشروعة و الطريقة الإلهية الموضوعة فاتخذوا ذلك قربة إلى اللّٰه فالله يجعلنا من أهله فإنا من هذه الأهلية إلهية واليناه و من كونه مجيبا لما يطلبه منه عباده حين ينادونه سألناه و من كونه نزل إلينا في ألطافه الخفية و سأل منا أمورا وردت بها الأخبار الإلهية بالسنة الشرائع بادرنا إلى ذلك و قبلناه و من كونه إذا تقربنا إليه بنوافل الخيرات و أحبنا فكان سمعنا و بصرنا و جميع قوانا بهويته كنا و من كونه خلقنا دون جميع صور العالم على صورته و ما بقي اسم ورد إلا و ظهرنا به حتى أضيف إلينا وسعناه و من كونه أعطانا الانفعال عنا و التأثير في الأكوان علمنا ما حصل لنا من ذلك منه و حققناه و من استنادنا إلى ذات موجدة لها غنى عنا و لنا إليها افتقار ذاتي لإمكاننا عرفناه و من كون هذا الأمر الذي استندنا إليه له نسبة إلينا بها ظهرت أعياننا بما نحن عليه من جميع ما يقوم بنا و نتصف به علمناه و بتجليه في صورة كل شيء من العالم في قوله ﴿يٰا أَيُّهَا النّٰاسُ أَنْتُمُ الْفُقَرٰاءُ إِلَى اللّٰهِ﴾ [فاطر:15] خشعنا له و شهدناه و من اسمه الظاهر في المظاهر فلا فاعل في الكون إلا هو رأيناه و من كونه يطلب آثار عباده و ما يكون منهم و إن كان ذلك خلقا له كما قال ﴿وَ لَنَبْلُوَنَّكُمْ حَتّٰى نَعْلَمَ الْمُجٰاهِدِينَ مِنْكُمْ وَ الصّٰابِرِينَ وَ نَبْلُوَا أَخْبٰارَكُمْ﴾ طالعناه و من كونه وصف نفسه بصفات المحدثات تنزلا لنا آمنا بذلك القول إذ نسبه إلى نفسه و اعتقدناه و من كونه «أوحى إلى رسوله ﷺ أن يقول لنا اعبد اللّٰه كأنك تراه»



هذه نسخة نصية حديثة موزعة بشكل تقريبي وفق ترتيب صفحات مخطوطة قونية
  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

ترقيم الصفحات موافق لمخطوطة قونية (من 37 سفر) بخط الشيخ محي الدين ابن العربي - العمل جار على إكمال هذه النسخة.
(المقابل في الطبعة الميمنية)

 
الوصول السريع إلى [الأبواب]: -
[0] [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17] [18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37] [38] [39] [40] [41] [42] [43] [44] [45] [46] [47] [48] [49] [50] [51] [52] [53] [54] [55] [56] [57] [58] [59] [60] [61] [62] [63] [64] [65] [66] [67] [68] [69] [70] [71] [72] [73] [74] [75] [76] [77] [78] [79] [80] [81] [82] [83] [84] [85] [86] [87] [88] [89] [90] [91] [92] [93] [94] [95] [96] [97] [98] [99] [100] [101] [102] [103] [104] [105] [106] [107] [108] [109] [110] [111] [112] [113] [114] [115] [116] [117] [118] [119] [120] [121] [122] [123] [124] [125] [126] [127] [128] [129] [130] [131] [132] [133] [134] [135] [136] [137] [138] [139] [140] [141] [142] [143] [144] [145] [146] [147] [148] [149] [150] [151] [152] [153] [154] [155] [156] [157] [158] [159] [160] [161] [162] [163] [164] [165] [166] [167] [168] [169] [170] [171] [172] [173] [174] [175] [176] [177] [178] [179] [180] [181] [182] [183] [184] [185] [186] [187] [188] [189] [190] [191] [192] [193] [194] [195] [196] [197] [198] [199] [200] [201] [202] [203] [204] [205] [206] [207] [208] [209] [210] [211] [212] [213] [214] [215] [216] [217] [218] [219] [220] [221] [222] [223] [224] [225] [226] [227] [228] [229] [230] [231] [232] [233] [234] [235] [236] [237] [238] [239] [240] [241] [242] [243] [244] [245] [246] [247] [248] [249] [250] [251] [252] [253] [254] [255] [256] [257] [258] [259] [260] [261] [262] [263] [264] [265] [266] [267] [268] [269] [270] [271] [272] [273] [274] [275] [276] [277] [278] [279] [280] [281] [282] [283] [284] [285] [286] [287] [288] [289] [290] [291] [292] [293] [294] [295] [296] [297] [298] [299] [300] [301] [302] [303] [304] [305] [306] [307] [308] [309] [310] [311] [312] [313] [314] [315] [316] [317] [318] [319] [320] [321] [322] [323] [324] [325] [326] [327] [328] [329] [330] [331] [332] [333] [334] [335] [336] [337] [338] [339] [340] [341] [342] [343] [344] [345] [346] [347] [348] [349] [350] [351] [352] [353] [354] [355] [356] [357] [358] [359] [360] [361] [362] [363] [364] [365] [366] [367] [368] [369] [370] [371] [372] [373] [374] [375] [376] [377] [378] [379] [380] [381] [382] [383] [384] [385] [386] [387] [388] [389] [390] [391] [392] [393] [394] [395] [396] [397] [398] [399] [400] [401] [402] [403] [404] [405] [406] [407] [408] [409] [410] [411] [412] [413] [414] [415] [416] [417] [418] [419] [420] [421] [422] [423] [424] [425] [426] [427] [428] [429] [430] [431] [432] [433] [434] [435] [436] [437] [438] [439] [440] [441] [442] [443] [444] [445] [446] [447] [448] [449] [450] [451] [452] [453] [454] [455] [456] [457] [458] [459] [460] [461] [462] [463] [464] [465] [466] [467] [468] [469] [470] [471] [472] [473] [474] [475] [476] [477] [478] [479] [480] [481] [482] [483] [484] [485] [486] [487] [488] [489] [490] [491] [492] [493] [494] [495] [496] [497] [498] [499] [500] [501] [502] [503] [504] [505] [506] [507] [508] [509] [510] [511] [512] [513] [514] [515] [516] [517] [518] [519] [520] [521] [522] [523] [524] [525] [526] [527] [528] [529] [530] [531] [532] [533] [534] [535] [536] [537] [538] [539] [540] [541] [542] [543] [544] [545] [546] [547] [548] [549] [550] [551] [552] [553] [554] [555] [556] [557] [558] [559] [560]


Bazı içeriklerin Arapçadan Yarı Otomatik olarak çevrildiğini lütfen unutmayın!