Mekkeli Fetihler: futuhat makkiyah

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[إنما اختلفت التجليات لاختلاف الشرائع]

و قولنا إنما اختلفت التجليات لاختلاف الشرائع فإن كل شريعة طريق موصلة إليه سبحانه و هي مختلفة فلا بد أن تختلف التجليات كما تختلف العطايا أ لا تراه عزَّ وجلَّ إذا تجلى لهذه الأمة في القيامة و فيها منافقوها و قد اختلف نظرهم في الشريعة فصار كل مجتهد على شرع خاص هو طريقه إلى اللّٰه و لهذا اختلفت المذاهب و كل شرع في شريعة واحدة و اللّٰه قد قرر ذلك على لسان رسوله صلى اللّٰه عليه و سلم عندنا فاختلفت التجليات بلا شك فإن كل طائفة قد اعتقدت في اللّٰه أمرا ما إن تجلى لها في خلافه أنكرته فإذا تحول لها في العلامة التي قد قررتها تلك الطائفة مع اللّٰه في نفسها أقرت به فإذا تجلى للأشعري في صورة اعتقاد من يخالفه في عقده في اللّٰه و تجلى للمخالف في صورة اعتقاد الأشعري مثلا أنكره كل واحد من الطائفتين كما ورد و هكذا في جميع الطوائف فإذا تجلى لكل طائفة في صورة اعتقادها فيه تعالى و هي العلامة التي ذكرها مسلم في صحيحه عن رسول اللّٰه صلى اللّٰه عليه و سلم أقروا له بأنه ربهم و هو هو لم يكن غيره فاختلفت التجليات لاختلاف الشرائع

[إنما اختلفت الشرائع لاختلاف النسب الإلهية]

و قولنا إنما اختلفت الشرائع لاختلاف النسب الإلهية قد تقدم و دار الدور فكل شيء أخذته من هذه المسائل صلح أن يكون أولا و آخرا و وسطا و هكذا كل أمر دوري يقبل كل جزء منه بالفرض الأولية و الآخرية و ما بينهما و قد ذكرنا مثل هذا الشكل الدوري في التدبيرات الإلهية مضاهيا لقول المتقدم إذ قال العالم بستان سياجه الدولة الدولة سلطان تحجبه السنة السنة سياسة يسوسها الملك الملك راع يعضده الجيش الجيش أعوان يكفلهم المال المال رزق يجمعه الرعية الرعية عبيد تعبدهم العدل العدل مألوف فيه صلاح العالم العالم بستان و دار الدور و يكفي هذا القدر من الإيماء إلى العلل و الأسباب مخافة التطويل فإن هذا الباب واسع جدا إذ كان العالم كله مرتبطا بعضه ببعض أسباب و مسببات و علل و معلولات



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