The Meccan Revelations: al-Futuhat al-Makkiyya

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(وفق مخطوطة قونية)

«قوله ﷺ من عرف نفسه عرف ربه» و منهم من أخذ العلم بالله من تقوى اللّٰه مثل قوله تعالى ﴿إِنْ تَتَّقُوا اللّٰهَ يَجْعَلْ لَكُمْ فُرْقٰاناً﴾ [الأنفال:29] تفرقون به بين اللّٰه و بين الآلهة التي عبدها المشركون و تعرفون ما عبدوا من ذلك مع علمهم إذا سموهم أنهم أحجار و أشجار و كواكب و ملائكة و ناس و جان و يعلمون حقيقة كل مسمى و لما ذا اختصوا بالعبادة ما اختصوا منها و هي و من لم يتخذوه معبودا من أمثالها في الحد و الحقيقة على السواء و ما في هذه الطوائف أعلى ممن حصل العلم بالله عن التقوى فهذا المأخذ أعلى المراتب في الأخذ فإن له الحكم الأعم يحكم على كل حكم و على كل حاكم بكل حكم فهو خير الحاكمين و لا يكون هذا العلم ابتداء و لهذا لا يختص به إلا المؤمنون العالمون الذين علموا إن ثم واحدا يرجع إليه و يوصل إلى شهوده و إن لم يعلموا ذلك قصرت هممهم و لو تجلى لهم الحق بنفسه أنكروه و ردوه فإنه عندهم مقيد بأمر ما مهما لم يجدوا ذلك الأمر الذي قيدوه به فيمن تجلى لهم و قال لهم أو قيل لهم إنه اللّٰه ردوه و لا بد فلما قصرت هممهم و أعطاهم نظرهم أن الحق لا يراه أحد كالفيلسوف و المعتزلي و إن علم فبالضرورة ينكرونه في تجليه لهم فلا بد للمؤمن أن يعطيه نور إيمانه ما أعطى لموسى عليه السّلام في نفسه حتى سأل الرؤية ثم أخبر اللّٰه أنه تجلى للجبل و الجبل من العالم و تدكدك الجبل عند رؤيته ربه و إذا تجلى لمحدث جاز أن يراه كل محدث إذا شاء و جاز أن يتجلى له فإذا علموا و آمنوا و انبسط نور الايمان على المراتب و المقامات فعلموها كشفا و وجودا و انبسط على نفوسهم فشاهدوا نفوسهم فعرفوها فعرفوا ربهم بلا شك علما و إيمانا ثم عملوا بتقوى اللّٰه فجعل اللّٰه لهم فرقانا بين ما أدركوه من اللّٰه بالعلم الخبري و بالعلم النظري و بالعلم الحاصل عن التقوى و علموا عند ذلك ما هو التام من هذه العلوم و الأتم فمن ادعى التقوى و لم يحصل له هذا الفرقان فما صدق في دعواه فإن الكذب كله عدم أي مدلوله عدم و إن كان مذموما بالإطلاق عرفا محمودا بالتقييد الذي يحمد به و الصدق كله حق أي مدلوله حق و إن كان محمودا بالإطلاق عرفا مذموما بالتقييد الذي يذم به

أوقفني الحق في شهودي *** جودا و فضلا على وجودي



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