The Meccan Revelations: al-Futuhat al-Makkiyya

Volume number (out of 37): [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17]
[18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37]

الصفحة - من السفر وفق مخطوطة قونية (المقابل في الطبعة الميمنية)

  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
futmak.com - الفتوحات المكية - الصفحة 7427 - من السفر  من مخطوطة قونية

الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

فالله هو المشيء بالكشف و إن وجد العبد في نفسه إرادة لذلك فالحق عين إرادته لا غيره كما ثبت أنه إذا أحبه كان سمعه و بصره و يده و جميع قواه فحكم المشيئة التي يجدها في نفسه ليست سوى الحق فإذا شاء اللّٰه كان ما شاءه فهو عين مشيئة كل مشيء كما يقول مثبت الحركة إن زيدا تحرك أو إنه حرك يده فإذا حققت قوله على مذهبه وجدت أن الذي حرك يده إنما هي الحركة القائمة بيده و إن كنت لا تراها فإنك تدرك أثرها و مع هذا تقول إن زيدا حرك يده كذلك تقول إن زيدا حرك يده و المحرك إنما هو اللّٰه تعالى

[ليس في العالم سكون البتة]

و اعلم أنه ليس في العالم سكون البتة و إنما هو متقلب أبدا دائما من حال إلى حال دنيا و آخرة ظاهرا و باطنا إلا إن ثم حركة خفية و حركة مشهودة فالأحوال تتردد و تذهب على الأعيان القابلة لها و الحركات تعطي في العالم آثارا مختلفة و لولاها لما تناهت المدد و لا وجد حكم للعدد و لا جرت الأشياء إلى أجل مسمى و لا كان انتقال من دار إلى دار و أصل وجود هذه الأحوال النعوت الإلهية من نزول الحق إلى السماء الدنيا كل ليلة و استواءه على عرش محدث و كونه و لا عرش في عماء و هذا الذي أوجب أن يكون الحق سمع العبد و بصره و عين مشيئته فبه يسمع و يبصر و يتحرك و يشاء فسبحان من خفي في ظهوره و ظهر في خفائه و وصف نفسه بما يقال فيه إنه صمد لا إله إلا هو يصورنا ﴿فِي الْأَرْحٰامِ كَيْفَ يَشٰاءُ﴾ [آل عمران:6] و يقلب الليل و النهار : و هو معنا أينما كنا : و هو أقرب إلينا منا : فكثرناه بنا و وحدناه به ثم طلب منا أن نوحده بلا إله إلا اللّٰه فوحدناه بأمره و كثرناه بنا



هذه نسخة نصية حديثة موزعة بشكل تقريبي وفق ترتيب صفحات مخطوطة قونية
  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

ترقيم الصفحات موافق لمخطوطة قونية (من 37 سفر) بخط الشيخ محي الدين ابن العربي - العمل جار على إكمال هذه النسخة.
(المقابل في الطبعة الميمنية)

 
الوصول السريع إلى [الأبواب]: -
[0] [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17] [18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37] [38] [39] [40] [41] [42] [43] [44] [45] [46] [47] [48] [49] [50] [51] [52] [53] [54] [55] [56] [57] [58] [59] [60] [61] [62] [63] [64] [65] [66] [67] [68] [69] [70] [71] [72] [73] [74] [75] [76] [77] [78] [79] [80] [81] [82] [83] [84] [85] [86] [87] [88] [89] [90] [91] [92] [93] [94] [95] [96] [97] [98] [99] [100] [101] [102] [103] [104] [105] [106] [107] [108] [109] [110] [111] [112] [113] [114] [115] [116] [117] [118] [119] [120] [121] [122] [123] [124] [125] [126] [127] [128] [129] [130] [131] [132] [133] [134] [135] [136] [137] [138] [139] [140] [141] [142] [143] [144] [145] [146] [147] [148] [149] [150] [151] [152] [153] [154] [155] [156] [157] [158] [159] [160] [161] [162] [163] [164] [165] [166] [167] [168] [169] [170] [171] [172] [173] [174] [175] [176] [177] [178] [179] [180] [181] [182] [183] [184] [185] [186] [187] [188] [189] [190] [191] [192] [193] [194] [195] [196] [197] [198] [199] [200] [201] [202] [203] [204] [205] [206] [207] [208] [209] [210] [211] [212] [213] [214] [215] [216] [217] [218] [219] [220] [221] [222] [223] [224] [225] [226] [227] [228] [229] [230] [231] [232] [233] [234] [235] [236] [237] [238] [239] [240] [241] [242] [243] [244] [245] [246] [247] [248] [249] [250] [251] [252] [253] [254] [255] [256] [257] [258] [259] [260] [261] [262] [263] [264] [265] [266] [267] [268] [269] [270] [271] [272] [273] [274] [275] [276] [277] [278] [279] [280] [281] [282] [283] [284] [285] [286] [287] [288] [289] [290] [291] [292] [293] [294] [295] [296] [297] [298] [299] [300] [301] [302] [303] [304] [305] [306] [307] [308] [309] [310] [311] [312] [313] [314] [315] [316] [317] [318] [319] [320] [321] [322] [323] [324] [325] [326] [327] [328] [329] [330] [331] [332] [333] [334] [335] [336] [337] [338] [339] [340] [341] [342] [343] [344] [345] [346] [347] [348] [349] [350] [351] [352] [353] [354] [355] [356] [357] [358] [359] [360] [361] [362] [363] [364] [365] [366] [367] [368] [369] [370] [371] [372] [373] [374] [375] [376] [377] [378] [379] [380] [381] [382] [383] [384] [385] [386] [387] [388] [389] [390] [391] [392] [393] [394] [395] [396] [397] [398] [399] [400] [401] [402] [403] [404] [405] [406] [407] [408] [409] [410] [411] [412] [413] [414] [415] [416] [417] [418] [419] [420] [421] [422] [423] [424] [425] [426] [427] [428] [429] [430] [431] [432] [433] [434] [435] [436] [437] [438] [439] [440] [441] [442] [443] [444] [445] [446] [447] [448] [449] [450] [451] [452] [453] [454] [455] [456] [457] [458] [459] [460] [461] [462] [463] [464] [465] [466] [467] [468] [469] [470] [471] [472] [473] [474] [475] [476] [477] [478] [479] [480] [481] [482] [483] [484] [485] [486] [487] [488] [489] [490] [491] [492] [493] [494] [495] [496] [497] [498] [499] [500] [501] [502] [503] [504] [505] [506] [507] [508] [509] [510] [511] [512] [513] [514] [515] [516] [517] [518] [519] [520] [521] [522] [523] [524] [525] [526] [527] [528] [529] [530] [531] [532] [533] [534] [535] [536] [537] [538] [539] [540] [541] [542] [543] [544] [545] [546] [547] [548] [549] [550] [551] [552] [553] [554] [555] [556] [557] [558] [559] [560]


Please note that some contents are translated from Arabic Semi-Automatically!