The Meccan Revelations: al-Futuhat al-Makkiyya

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حكمة تحوي على حكم *** نالها الحساد إذ حسدوا

أبد يعنو إلى أزل *** أزل يمده الأبد

كل من يجري إلى أمد *** سيرى و ما له أمد

هكذا التوحيد فاعتبروا *** واحد في واحد أحد

[التوحيد التعمل في حصول العلم في نفس الإنسان]

اعلم أن التوحيد التعمل في حصول العلم في نفس الإنسان أو الطالب بأن اللّٰه الذي أوجده واحد لا شريك له في ألوهيته و الوحدة صفة الحق و الاسم منه الأحد و الواحد و أما الوحدانية فقيام الوحدة بالواحد من حيث إنها لا تعقل إلا بقيامها بالواحد و إن كانت نسبة و هي نسبة تنزيه فهذا معنى التوحيد كالتجريد و التفريد و هو التعمل في حصول الانفراد الذي إذا نسب إلى الموصوف به سمي الموصوف به فردا أو منفردا أو متفردا إذا سمي به فالتوحيد نسبة فعل من الموحد يحصل في نفس العالم به إن اللّٰه واحد قال تعالى ﴿لَوْ كٰانَ فِيهِمٰا آلِهَةٌ إِلاَّ اللّٰهُ لَفَسَدَتٰا﴾ [الأنبياء:22] و قد وجد الصلاح و هو بقاء العالم و وجوده فدل على أن الموجد له لو لم يكن واحدا ما صح وجود العالم هذا دليل الحق فيه على أحديته و طابق الدليل العقلي في ذلك و لو كان غير هذا من الأدلة أدل منه عليه لعدل إليه و جاء به و ما عرفنا بهذا و لا بالطريق إليه في الدلالة عليه و قد تكلف قوم الدلالة عليه بطريق آخر و قدحوا في هذه الدلالة فجمعوا بين الجهل فيما نصبه الحق دليلا على أحديته و بين سوء الأدب فأما جهلهم فكونهم ما عرفوا موضح الدلالة على توحيده في هذه الآية حتى قدحوا فيه و أما سوء الأدب فمعارضتهم بما دخلوا فيها بالأمور القادحة فجعلوا نظرهم في توحيده أتم في الدلالة مما دل به الحق على أحديته و ما ذهب إلى هذا إلا المتأخرون من المتكلمين الناظرين في هذا الشأن و أما المتقدمون كأبي حامد و إمام الحرمين و أبي إسحاق الأسفراييني و الشيخ أبي الحسن فما عرجوا عن هذه الدلالة و سعوا في تقريرها و أبانوا عن استقامتها أدبا مع اللّٰه تعالى و علما بموضع الدلالة منها

[أن توحيد اللّٰه فرع إثبات وجوده تعالى]



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